घर से कुछ दूरी पर
एक कुआं है गहरा
कहते हैं लोग वहां के
वहां भुतों का है पहरा
भुतों के रिश्तेदारों का
हैं वहां बसेरा
होती है आधी रात जब
चलती भुतों की पार्टीयां
खुब बजते हैं गाजे-बाजे
खुब बटतें है पत्ते
भुत रोज खाना बनाते
भुगतनी खेलती रम्मी
घर से कुछ दूरी पर
एक कुआं है गहरा
कहते हैं लोग वहां के
वहां भुतों का है पहरा।
Written By Radha Rani
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