अब भी दिल रो देता है
जब भी उन गलियों से गुजरती हूं
तेरे होने का एहसास होता है
अचानक से कदम खुद रुक जाते हैं
और मैं वहीं एक टक तुम्हें वही ढुँढने लगती हूं
पर भ्रम उस वक्त टूट सा जाता है
जब तेरे जाने का दिन याद आता है
फिर दिल बहुत रोता है
और खुदको मनाने में लग जाती हूं
अब तू थोरे मुझे मिलेगी
तू तो कहीं दूर चली गई है....
सायद वदुत दूर................
सयाद मैं इस जन्म में अब तुझे नहीं देख पाउं
और अपने आंखों को पोछते हुए
अपने काम में फिर लग जाती हूं
ऐसा हर रोज होता है
तेरी याद आती है.... और रुला जाती है....
Written by- Radha Rani
No comments:
Post a Comment