Monday, October 29, 2018

बचपन की दिवाली

बचपन की दिवाली में भी खुशियां थी
और आज भी खुशियां ही खुशियां है।

फर्क बस इतना है दोस्तों
पहले दीपावली थी
आज बलवावली है।

पहले दिवाली गरीबों और अमीरों की थी
पर आज सिर्फ अमीरों की है।

पहले दिवाली से प्रदुषण कंट्रोल होता था
पर आज प्रदुषण ही प्रदुषण होता है।

बचपन की दिवाली में मां 
अनेकों पकवान बनातीं थी
पर आज एक भी बन जाए बहुत है।

बचपन की दिवाली में प्यार था
स्नेह था, ममता थी, अपनापन था
पर आज हर तरफ 
नफ़रत है, लुट है, धोखा है।

फिर भी दिवाली मनानी है
तो मनाओ दिवाली
जलाओ दिवाली।

Happy Dipawali
Radha Rani

Friday, October 26, 2018

एक छोटी सी हिकारत है

एक छोटी सी सिकायत है 
मुझे मेरे रब से
तुमने मुझे बनाया क्यों
अगर बनाया तो बनाया
ऐसी जिंदगी मुझे दी क्यों
जिसका न तो कोई ओर है 
ना ही कोई छोर
जिये जा रहे हैं, जिये जा रहे हैं
बस यूं ही मजे किए जा रहे हैं
ना ही किसी की फ़िक्र है
ना ही किसी की जिक्र
ना ही कोई सपना है
ना ही कोई अपना है
बस जिये जा रहे हैं
जिये जा रहे हैं
बस मज़े किए जा रहे हैं।।

Radha Rani

Friday, October 5, 2018

थक गई है नज़र



बीच चौराहे पर खड़ी
देख रही थी दूर से
आते-जाते उन गाड़ियों को
रौंद रही थी वे 
मेरी प्यासी नज़रों को
मेरी नज़र थी प्यासी
उस मंजिल की चाह में
जिसका न कोई छोड़ था
ना ही कोई निशान।
जब मेरी नज़र थक गई
सोच में पड़ गई मैं
कब विराम आएगा
जिंदगी की इस राह में।।

राधा रानी

अब भी दिल रो देता है

अब भी दिल रो देता है जब भी उन गलियों से गुजरती हूं तेरे होने का एहसास होता है अचानक से कदम खुद रुक जाते हैं और मैं वहीं एक टक तुम्हें वही ढु...