Friday, March 17, 2023

अब भी दिल रो देता है




अब भी दिल रो देता है

जब भी उन गलियों से गुजरती हूं

तेरे होने का एहसास होता है

अचानक से कदम खुद रुक जाते हैं

और मैं वहीं एक टक तुम्हें वही ढुँढने लगती हूं

पर भ्रम उस वक्त टूट सा जाता है

जब तेरे जाने का दिन याद आता है

फिर दिल बहुत रोता है

और खुदको मनाने में लग जाती हूं

अब तू थोरे मुझे मिलेगी

तू तो कहीं दूर चली गई है....

सायद वदुत दूर................

सयाद मैं इस जन्म में अब तुझे नहीं देख पाउं

और अपने आंखों को पोछते हुए

अपने काम में फिर लग जाती हूं

ऐसा हर रोज होता है

तेरी याद आती है.... और रुला जाती है....


Written by- Radha Rani

Friday, January 7, 2022

हर बुरे दिन के बाद ...

माना आज हमारा बुरा दिन है

पर सुना है...

हर बुरे दिन के बाद 

एक अच्छा दिन आता है

आज हमें वो नही मिला

जिसकी चाहत रखी थी हमने

एक दिन होगा ऐसा 

हमारी अधुरी चाहते पुरी होगी जरुर

आज हमारे तारे गर्दिश में हैं 

पर हमे घबराना नहीं है

एसे वक़्त का डट के सामना करना है

माना आज हमारा बुरा दिन है

पर सुना है...

हर बुरे दिन के बाद 

एक अच्छा दिन आता है।।


-Radha 



Wednesday, August 25, 2021

तुम आयी भी...और चली भी गई

 









तुम आयी भी
और चली भी गई
एहसास भी न हुआ
चाहत थी कि तुम 
और कुछ देर रहती
तो मन की आत्मा को
वो सुकून मिलता
इसका अंदाजा
सायद तुम्हें भी न हो...
तुम आयी भी
और चली भी गई
एहसास भी न हुआ।।

Written By Radha Rani

गुजरे हुए वक़्त की कहानी है तू


गुजरे हुए वक़्त की कहानी है तू
मेरे टूटे हुए दिल की निशानी है तू
गुजरा हुआ वक़्त गुजर चुका है
पर आज भी उस टूटे हुए दिल की 
टीस में बाकी है तू ।।
तुम्हें याद है सब या भुला चुके हो कुछ
कभी तो हाले बयान कर देते
मैं आज भी उस खत के टुकरे को
अपने दिल के कोने में छुपाये बैठी हूं।।
तुमने कहा था कभी....
हम मिले या ना मिले दुबारा
पर हमारा वक़्त हमे 
हर पल मिलता रहेगा कहीं ...
पर आज हमारा वक़्त और तुम
एक कहानी बन गए हैं ...
गुजरे हुए वक़्त की निशानी बन गए हैं।।

Written by Radha Rani

Friday, August 28, 2020

पढोगे लिखोगे बनोगे नवाब

 

मालदे सूरज के मुह पे मलाई

बुडबक बादल पे करदे चढ़ाई

खोल किताबें करे हम पढाई

सुनो सुनो दिल की सुनो

डरोगे नहीं शेर बनो

पढोगे लिखोगे बनोगे नवाब

जो तुम खेलोगे कूदोगे तो होगे ख़राब

बदमाशियों से जरा बाज़ आओ

थोडा किताबों से भी दिल लगाओ

विद्या कसम हम पढेंगे दबा के

मगर तुम भी देखो किताबों से आगे

बढ़ो ज़रा आग बढ़ो

लिखा नहीं जो वो पढो

पढोगे लिखोगे बनोगे नवाब

जो तुम खेलोगे कूदोगे तो होगे ख़राब

ऐसे हवा में जो उड़ता फिरेगा

मंडे को टीचर का डंडा पड़ेगा

पेट दर्द का मैं करूँगा बहाना

केंसल है मंडे को स्कूल जाना

जिद मेंटेन करो

चढ़ो माउंटेन चढ़ो

पढोगे लिखोगे बनोगे नवाब

जो तुम खेलोगे कूदोगे तो होगे ख़राब || 



Sunday, August 23, 2020

थोड़ी सी रौशनी बहुत है

 

थोड़ी सी रौशनी बहुत है
तेरे संग जिवन बिताने के लिए 
जिवन में आए 
हर एक अंधकार को
हमारे बीच में उजाला लाने के लिए 
थोड़ी सी रौशनी बहुत है•••

आओ हम यूँही
एकदूजे का साथ दें
6 साल तक क्या 
अगले सात जन्मों तक
साथ देने का वादा कर लें
थोड़ी सी रौशनी बहुत है
चलो, फिर से जिने का वादा कर लें•••

बड़े मन्नतों से मिले हो तुम मुझे
हां, बड़े मन्नतों से मिले हो तुम मुझे
यूँही अकेला तो छोर न पाऊंगी तुम्हें
मर जाऊंगी मैं तुमसे पहले अगर
तो साया बन साथ निभाऊँगी मैं 
पर अभी थोड़ी सी रौशनी बहुत है
तेरे संग जिवन बिताने के लिए ।।

Written by Radha Rani 


Sunday, March 29, 2020

अपनो के संग


सदियाँ बीत गई थीं 
एक जरा सा संग 
अपनों के साथ गुजारे...
तरस गयी थीं, मेरे एक आहट को
वो घर के खिर्की और दरवाजे
पर मैं नादान
दिन भर की आपाधाप में 
खुद से करती थी बेईमानी
पता नहीं पर लगी थी 
किसी खजाने की तलाश में 
तलाश थी, प्यास थी, 
पर एक मजबुरी भी थी
रहती थी दूर अपनो से
परायों का साथ पाये
आज समझ आया 
मेरे अपने, ये खिर्की और दरवाजे
यही हैं मेरे ••••
मेरे अनमोल खजाने।।

#radharani

अब भी दिल रो देता है

अब भी दिल रो देता है जब भी उन गलियों से गुजरती हूं तेरे होने का एहसास होता है अचानक से कदम खुद रुक जाते हैं और मैं वहीं एक टक तुम्हें वही ढु...