Thursday, June 28, 2018

मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं

तुम मेरी जिंदगी हो
ये मेरी खता है
मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं
मुझे तुमसे प्यार है
ये मेरा जुनून था
मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं
आज जो हालात हैं
उसकी वजह मैं हूं
मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं
तुमको मुझसे उम्मीदें थीं
 मैं पुरा न कर सकी
मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं
तुमने मुझसे बेहतर 
प्यार करने की कोशिश की
पर कर न सके
मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं।
Written by Radha Rani


Wednesday, June 27, 2018

तुम आ गए हो


तुम आ गए हो
नूर आ गया है
नहीं तो जिंदगी 
बदरंग हो गई थी
मुझे जीने की तुमसे 
वजह मिल गई है
नहीं तो जिंदगी
मौत को रो रही थी
तुम आ गए हो
बहार आ गया है
नहीं तो जिंदगी
विरान हो गई थी
जीने की तुम ही 
वजह बन गए हो
तुम आ गए हो
नूर आ गया है।
Written by Radha Rani

Sunday, June 24, 2018

मन मर्जी के मालिक हम

मन मर्जी के मालिक हम
जो भी करते 
मन की करते
किसी की बातों को नहीं सुनते
दुनिया चाहे लाख कहे अपनी
पर  हम सिर्फ अपनी सुनते
हम तो मन मर्जी मालिक हैं
दुनिया की परवाह करें क्यों
दुनिया सिर्फ लेती है
देती सिर्फ सितम है
हम तो मन मर्जी मालिक हैं
अपने मन के सिकंदर हैं
सारे फैसले मेरे जेब के अंदर 
अपना तुती बजाती हूं
हम तो मन मर्जी मालिक हैं
अपनी ही सिर्फ हम सुनते।।
Written by Radha Rani

Saturday, June 23, 2018

अधूरी कहानी


हमारी अधूरी कहानी
जो अधूरी ही रह गई
मिलन की आस हमेशा रही
पर वो आस कभी ना पास हो सकी
हमारी अधूरी कहानी
कहानी तुम्हारी मेरी जरुरत की
कहानी तुम्हें पाने की
कहानी तुम्हें हासिल करने की
वो कहानी जिससे मैं पा सकती थी
उन ऊंचाइयों को
जिनकी आस आज सभी करते हैं
कहानी एक मुकम्मल जहां की
वो जहां, जिसमें
सुकुन है... चैन है
वो जहां, जिसमें वो है
उसका प्यार है
पर हमारी अधूरी कहानी 
अधूरी ही रह गई।

Written by Radha Rani

Friday, June 22, 2018

जब देखो रोते रहते हो

हर बात पर लड़ना
हर बात पर बिगड़ना
बिना मतलब के 
तु तु मैं मैं करना
फिर मेरा रुकना
तेरा मुझे चिढ़ाना
फिर तेरा कहना...
जब देखो रोते रहते हो
ये भी कोई बात है।
मेरा चुप होना
जैसे तुम्हारी लौटरी लगना
फिर से चिढ़ना
और मेरा रोना
और तेरा कहना...
जब देखो रोते रहते हो
ये भी कोई बात है।

Written by Radha Rani

क्यों करते हो मुझसे नफरत ?

क्यों करते हो मुझसे नफरत ?
क्यों नही मुझे पसंद करते ?
क्या तुम लोग निष्ठुर हो ?
मैं क्या हूं...?
एक तुम्हारे जैसी इंसान ही तो
फिर ऐसी नफरत क्यों ?
तुम लोग कहते हो,
मेरे वचन करवें हैं
पर सोंचो...
क्या तुम्हारे जुबां में पंख नहीं लगे
तुम्हारे जुंबा भी तो 
आजादी से फरफराते रहते हैं
चाहे मुझे बुरा लगे या भला
पर तुम्हारे जुबां ..
अपने पंख फरफराना नहीं भुलते
तब मैं क्या करूं...
अपना पक्ष ना लुँ
इसलिए मैं पंसद नहीं
क्योंकि मैंने अपना पक्ष लिया।
तो रहने दो
करते रहो नफरत
बने रहो निष्ठुर
अपने जुबां के पंख फरफराते रहो
मैं नहीं बदलुंगी...
मैं आजाद हूं...आजाद रहूंगी।

Written By Radha Rani

Thursday, June 21, 2018

योग है यह भी


जब मनुष्य नित्य प्रति उठ
घर का पुरा काम करें
तो समझो, योग है यह भी

जब किसान निस्वार्थ
समाज के जीवन के लिए
अहले सुबह अपने खेत को जोते
तो समझो, योग है यह भी

एक मजदूर अपना पसीना बहा
अपने परिवार के जीवन यापन के लिए
जब मजदूरी करें
तो समझो, योग है यह भी

जब जवान सरहद पर
देश के लिए अपना खून बहाए
तो समझो, योग है यह भी

जब राज्य का नेता
निस्वार्थ राज्य के उन्नती का सोचे
तो समझो, योग है यह भी

हम इंसान अपने जीवन का हर पल
दुसरों के भलाई के लिए 
न्यौछावर कर दें
तो समझो, योग है यह भी
Written by Radha Rani

Wednesday, June 20, 2018

बार बार दिन ये आए

एक असहनीय पीड़ा
एक अजब सी कसमकस
थी परेशान
कुछ खुद के सवालों में उलझी
क्या होगा?, कब होगा?, होता क्यों नहीं?
अचानक से एक गहरा सन्नाटा
और मेरी कानों ने कुछ सुना
तुम्हारी आवाज़
रोने की थी, मैं परेशान तो हुई
मगर मेरे मन को आनंदित भी कर रही थी
पहली बार जब तुमको छुआ था
अजब सा एहसास हुआ था 
20 जून 2016 का दिन
फिर से आया है
मेरी खुशीयों को दोगुना करने
आज ही के दिन तुम आए थे
मेरी दुनिया में एक नया रंग भरने
मुझे अधुरे से पुरा करने
तुम्हारी मुस्कान मेरी जिंदगी है
तुम सदा मुस्कुराते रहो
यही आरज़ू है।।
Happy birthday to you betu.... muhhhhha

Written by Radha Rani

देखो देर ना करना

सुबह से शाम हो गई
अब तो आ जाओ
देखो देर ना करना।
तुम्हारे इंतजार में
आंखों के आंसू सुख गए
देखो देर ना करना।
अगर तुम न आए
मैं तो रोऊंगी ही
साथ में धरती रोएगी
आकाश रोएगा
नदियां रोएगी
खेत-खलिहान रोएंगे
अब तो आ जाओ
देखो देर ना करना।
तुम आते तो हो
बस झलक दिखाने
जरा ठहरो, मुझे यकीन दिलाओ
कि तुम आए हो
अब तो आ जाओ
देखो देर ना करना।
Written by Radha Rani

Monday, June 18, 2018

वहां पहले वाली बात नहीं।


जब भी गुजरती हूं उन गलियों से
जहां मैं खेला करती थी
वो एखट-दुखट
वो सखियों के साथ भागम-भाग
अब बदल गई हैं गलियां
वहां पहले वाली बात नहीं।

वो घर के बगल का मंदिर
जहां मैं रातों में पढ़ा करती थी
वो रामायण का पाठ
अब कोई नहीं करता
वहां पहले वाली बात नहीं।

वो हमारे स्कूल और कॉलेज
हैं तो वहीं, कुछ नहीं बदला
पर बदल गए हैं अध्यापक
बदल गए हैं दोस्त
वहां पहले वाली बात नहीं।

मेरे पिता का आंगन
आज भी सुहाना है
उनका प्यार भी खजाना है
पर आज वहां
पहले वाली बात नहीं।

मेरा घर आंगन
जहां दुल्हन बनकर आई
अपने को छोड़, अपना बनाने आई
जहां प्यार भी मिला
सम्मान भी मिला
अब न प्यार है न सम्मान 
अब वहां पहले वाली बात नहीं।

Written by Radha Rani

मेरे पापा


Sunday, June 17, 2018

यादों के जंगल में गुम


अकसर रातों में
यादों के जंगल से 
मेरी बारात गुजरती है
और कहीं गुम हो जाती है
अकसर रातों में
यादों में कभी तुम होते हो
कभी तुम्हारी यादें होती हैं
तुम्हारी यादों का जंगल बहुत घना है
चाह कर भी नहीं निकल पाती हूं
इस जंगल में तुम्हारी याद है
तुम्हारा प्यार है
तुम्हारी नफरत है
तुम्हारी बेवफाई है
ये सब मिल मुझे घेरे हुए है
मुझे निकलने नहीं देती
और सायद कभी निकल पाऊं
अकसर रातों में
यादों के जंगल में गुम हो जाती हूं।

Written by Radha Rani


Saturday, June 16, 2018

उसकी तस्वीर से बातें करती थी

जब भी तनहा होती थी
उसकी तस्वीर से बातें करती थी
कोई न था जब पास मेरे
उसकी तस्वीर सिरहाने रहती थी
जब भी मन होता था बोझिल
उसकी तस्वीर से मन बहलाती थी
वो दूर था मुझसे फिर भी
उसकी तस्वीर पास रहा करती थी
हर व्रत को मेरे पुरा
उसकी तस्वीर किया करती थी
रातों को जब भी मन उदास हुआ
उसकी तस्वीर से बातें करती थी
वो जब न था पास मेरे
उसकी तस्वीर पास रहा करती थी।।

,Written by Radha Rani

Thursday, June 14, 2018

बेहिसाब शिकवे हैं


बेहिसाब शिकवे हैं तुझसे ऐ जिंदगी
तुझसे गिला करूं या रहने दूं
बचपन से जवानी बीती
अब आया है अंतिम दौर
जो भी चाहा पाया है
पर पा न सकी हूं चैन।
जिंदगी के भागम-भाग से
अब थक गई हूं मैं
कुछ तो रहम दिखा मुझपर
क्या तुझको भी नहीं है चैन।
बेहिसाब शिकवे हैं शिकायत है
तुझसे ऐ जिंदगी, कैसे करूं बयां।

Written by Radha R

Wednesday, June 13, 2018

घर से कुछ दूरी पर


घर से कुछ दूरी पर
एक कुआं है गहरा
कहते हैं लोग वहां के
वहां भुतों का है पहरा
भुतों के रिश्तेदारों का 
हैं वहां बसेरा
होती है आधी रात जब
चलती भुतों की पार्टीयां 
खुब बजते हैं गाजे-बाजे
खुब बटतें है पत्ते
भुत रोज खाना बनाते
भुगतनी खेलती रम्मी
घर से कुछ दूरी पर
एक कुआं है गहरा
कहते हैं लोग वहां के
वहां भुतों का है पहरा।

Written By Radha Rani

भूल गए क्या तुम?

भूल गए क्या तुम?
वो हमारी पहली मुलाकात
जब मैं तुमसे मिली थी
मैं मिलो दूर से मिलने आई थी 
तुम्हारी एक झलक के लिए
तुम्हारी और  हमारी पहली मुलाकात
मैंने पहली बार कदम उठाया था
कुछ साहस करने की हिम्मत जुटाई थी
अपनों से दगा किया था
भूल गए क्या तुम?
तुम्हारे लिए अपनों से लड़ी थी
सिर्फ तुमको पाने के लिए
तुमसे प्यार जो करती थी
बेइंतहा प्यार
भूल गए क्या तुम?

Written By Radha Rani

Sunday, June 10, 2018

आईने से बैर मत रख


आईने से बैर मत रख
तु आईने से यारी रख
आईना झुठ नहीं बोलता
आईना दिखाता है हकीकत
आईना तुझे संवारेगा
आईना तुझे बिगाड़ेगा
तु रोएगा तो वो रोएगा
तु हंसेगा तो वो हंसेगा
आईने से बैर मत रख
तु आईने से यारी रख।
आईना दिखाता है खामियां
आईना दिखाता है अच्छाईयां
वही है अकेलेपन का साथी
आईना ही तो आज दोस्त है हमदम है
आईने से बैर मत रख
तु आईने से यारी रख।

   Written by Radha Rani

Saturday, June 9, 2018

जहां रौशनी का मिलन हो रहा था



जहां रौशनी का मिलन हो रहा था
वहां एक कहानी रची जा रही थी
वो कहानी जो मेरी थी
वो कहानी जो हमारी थी
वो रौशनी हम ही तो थे
जो वर्षों बाद मिल रहे थे
हम दो रौशनीयों के मिलन से 
तुम आए थे 
हमारी जिंदगी में उजाला भरने
हमारी जिंदगी सवारने
अपने प्यारे से मुस्कान से
मेरी मुस्कान को दोगुना करने
आज तुम ही तो हो 
मेरी आंखों के उजाले
तुम ही तो आए थे
मेरा घर रौशन करने
जहां रौशनी का मिलन हो रहा था
वहां तुम्हारा जन्म हो रहा था
हमारी सकारात्मक सोंच का जन्म हो रहा था
जहां रौशनी का मिलन हो रहा था
वहां तुम्हारी कहानी रची जा रही थी।

Written By Radha Rani




Wednesday, June 6, 2018

मेरे अंदर का बच्चा


मेरे अंदर का बच्चा
अबतक वो बढ़ा नहीं
दुनिया की साजिशों से
अबतक वो मिला नहीं
मेरे अंदर का बच्चा
झट‌ से दोस्त बनाता है
नासमझ है अभी वो
हरवक्त धोखा खाता है
मेरे अंदर का बच्चा
हर पल धुम मचाता है
हरपल कुछ नया करने को
नए-नए तरकीब लगाता है
मेरे अंदर का बच्चा
अपना बचपन भुला नहीं
बचपन की यादों को वो
फिर से वो दोहराता है
मेरे अंदर का बच्चा
अब तक वो मरा नहीं।

Written By Radha Rani

Tuesday, June 5, 2018

एक गिलहरी आंगन में















एक गिलहरी आंगन में
रोज-रोज आ जाती है
अपने नन्हें कदमों की
छाप वो दे जाती है
फुदक-फुदक कर आंगन में
इठलाती बलखाती है
हरपल वो मेरे मन में
एक नया उत्साह जगाती है
एक गिलहरी आंगन में
रोज-रोज आ जाती है

जब भी उसको देखुं तो
मन मेरा कर जाता है
उसको लेकर हाथों में
उसके बदन को सहलाऊं
पर वो इतनी तेज है
कभी नहीं आती हाथों में
पलक झपकते ही झट से
वो गायब हो जाती है
एक गिलहरी आंगन में
रोज-रोज आ जाती है।

Written By Radha Rani

Monday, June 4, 2018

चिड़िया घर से निकली है...

चिड़िया घर से निकली है
मुक्त गगन में उड़ने के लिए
अपने प्यारे पंख फैलाए
नए-नए सपने सजाए
आशाओं के दीप जलाए
प्यारी चिड़िया निकली है।


एक अनोखी उड़ान के लिए
अपनी आकांक्षाओं के लिए
नीत नए सपनों को बुनकर 
उनको पुरा करने
वो चिड़िया निकली है।


चिड़िया घर से निकली है 
गिद्ध की नजरों से बचती
अपने पंख हवा में फैलाए
ठंडी हवा में शान से
मासुम चिड़िया निकली है।

Written By Radha Rani

अब भी दिल रो देता है

अब भी दिल रो देता है जब भी उन गलियों से गुजरती हूं तेरे होने का एहसास होता है अचानक से कदम खुद रुक जाते हैं और मैं वहीं एक टक तुम्हें वही ढु...