अकसर रातों में
यादों के जंगल से
मेरी बारात गुजरती है
और कहीं गुम हो जाती है
अकसर रातों में
यादों में कभी तुम होते हो
कभी तुम्हारी यादें होती हैं
तुम्हारी यादों का जंगल बहुत घना है
चाह कर भी नहीं निकल पाती हूं
इस जंगल में तुम्हारी याद है
तुम्हारा प्यार है
तुम्हारी नफरत है
तुम्हारी बेवफाई है
ये सब मिल मुझे घेरे हुए है
मुझे निकलने नहीं देती
और सायद कभी निकल पाऊं
अकसर रातों में
यादों के जंगल में गुम हो जाती हूं।
Written by Radha Rani

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