Thursday, June 21, 2018

योग है यह भी


जब मनुष्य नित्य प्रति उठ
घर का पुरा काम करें
तो समझो, योग है यह भी

जब किसान निस्वार्थ
समाज के जीवन के लिए
अहले सुबह अपने खेत को जोते
तो समझो, योग है यह भी

एक मजदूर अपना पसीना बहा
अपने परिवार के जीवन यापन के लिए
जब मजदूरी करें
तो समझो, योग है यह भी

जब जवान सरहद पर
देश के लिए अपना खून बहाए
तो समझो, योग है यह भी

जब राज्य का नेता
निस्वार्थ राज्य के उन्नती का सोचे
तो समझो, योग है यह भी

हम इंसान अपने जीवन का हर पल
दुसरों के भलाई के लिए 
न्यौछावर कर दें
तो समझो, योग है यह भी
Written by Radha Rani

No comments:

Post a Comment

अब भी दिल रो देता है

अब भी दिल रो देता है जब भी उन गलियों से गुजरती हूं तेरे होने का एहसास होता है अचानक से कदम खुद रुक जाते हैं और मैं वहीं एक टक तुम्हें वही ढु...