Friday, December 28, 2018

साल गुजरने वाला है

दो दिन बचे हैं बस
साल गुजरने वाला है
जो भी गीले शिकवे हैं
आपस में बांट लें हम
क्योंकि साल गुजरने वाला है
आने वाले साल में
एक प्रण लें लें हम
जो बुरा किया बीते साल में
वो ना दुहराए नए साल में
जो भी अच्छा हुआ इस साल
यही कोशिश रहेगी नए साल।।

Written by Radha Rani

Tuesday, November 20, 2018

मेहनत नहीं होता मुझसे...

सुबह सवेरे रोज उठ 
झाड़ू कटका करती हूं
फिर भी ‌लोग कहते फिरते हैं
मेहनत नहीं होता मुझसे।

सर्वप्रथम स्नान कर 
पुजा पाठ करती हूं
फिर रसोई में जाकर
खाना रोज बनातीं हूं
फिर भी ‌लोग कहते हैं
मेहनत नहीं होता मुझसे।

घर के सारे काम कर
आफिस रोज जाती हूं
वहां जाकर रोज रोज
अपना काम ‌करती हूं
फिर भी ‌लोग कहते हैं
मेहनत नहीं होता मुझसे।

हर रोज रात का 
खाना मैं ही बनाती हूं
फिर सबको खाना खिलाकर
तब खुद खाती हूं
फिर भी ‌लोग कहते रहते हैं
मेहनत नहीं होता मुझसे।

Radha

Monday, October 29, 2018

बचपन की दिवाली

बचपन की दिवाली में भी खुशियां थी
और आज भी खुशियां ही खुशियां है।

फर्क बस इतना है दोस्तों
पहले दीपावली थी
आज बलवावली है।

पहले दिवाली गरीबों और अमीरों की थी
पर आज सिर्फ अमीरों की है।

पहले दिवाली से प्रदुषण कंट्रोल होता था
पर आज प्रदुषण ही प्रदुषण होता है।

बचपन की दिवाली में मां 
अनेकों पकवान बनातीं थी
पर आज एक भी बन जाए बहुत है।

बचपन की दिवाली में प्यार था
स्नेह था, ममता थी, अपनापन था
पर आज हर तरफ 
नफ़रत है, लुट है, धोखा है।

फिर भी दिवाली मनानी है
तो मनाओ दिवाली
जलाओ दिवाली।

Happy Dipawali
Radha Rani

Friday, October 26, 2018

एक छोटी सी हिकारत है

एक छोटी सी सिकायत है 
मुझे मेरे रब से
तुमने मुझे बनाया क्यों
अगर बनाया तो बनाया
ऐसी जिंदगी मुझे दी क्यों
जिसका न तो कोई ओर है 
ना ही कोई छोर
जिये जा रहे हैं, जिये जा रहे हैं
बस यूं ही मजे किए जा रहे हैं
ना ही किसी की फ़िक्र है
ना ही किसी की जिक्र
ना ही कोई सपना है
ना ही कोई अपना है
बस जिये जा रहे हैं
जिये जा रहे हैं
बस मज़े किए जा रहे हैं।।

Radha Rani

Friday, October 5, 2018

थक गई है नज़र



बीच चौराहे पर खड़ी
देख रही थी दूर से
आते-जाते उन गाड़ियों को
रौंद रही थी वे 
मेरी प्यासी नज़रों को
मेरी नज़र थी प्यासी
उस मंजिल की चाह में
जिसका न कोई छोड़ था
ना ही कोई निशान।
जब मेरी नज़र थक गई
सोच में पड़ गई मैं
कब विराम आएगा
जिंदगी की इस राह में।।

राधा रानी

Thursday, September 27, 2018

जय हो गुगल देव की

जय हो गुगल देव की
हम तेरे ही गुण गाते हैं
चरणों में सीस झुकाते हैं 
हम तेरे ही गुण गाते हैं
अगर तुम ना होते
हमें जानकारी कहां मिलती
जानकारी तो है ही
हमें तस्वीरें कहां मिलती
हर दफ्तर की पहली जरूरत
हर छात्र की किताब हो तुम
तुम ही हमारे माता-पिता
सखा भी तुम हो बंधु भी तुम
गुरु भी तुम, भगवान भी तुम
जय हो गुगल देव की
हम तेरे ही गुण गाते हैं
चरणों में सीस झुकाते हैं 
हम तेरे ही गुण गाते हैं

राधा रानी

Monday, September 24, 2018

तेरी तारीफ में मैं क्या लिखूं जिंदगी

तेरी तारीफ में 
मैं क्या लिखूं जिंदगी
शब्द कम पड़ जाते हैं
जब तेरी तारीफ करती हूं
जिंदगी बीत रही है 
तुम्हारी तारीफ के पुल बनाते हुए
पर ना मैं थकी ना ही मेरी कलम 
तुम भरसक मेरी निंदा करते रहे
औरों से तुलना और 
खुद से दूर करते रहे
पर मैं तुम्हारे ही गुण गाती रही
तुमने कभी मुझे चैन की सांस नहीं दी
पर मैंने तुम्हें चैन से जीया है
तेरी तारीफ में 
मैं क्या लिखूं जिंदगी
शब्द कम पड़ जाते हैं
जब तेरी तारीफ करती हूं

राधा रानी

Friday, September 21, 2018

हंसना मना है


आज के लाइफ स्टाइल से
दुनिया हुई कलरफुल
लड़कियां पहनती जींस है
लड़के पहनते साड़ी
फिर भी लड़कों का ना होता रेप है
ना होती बेइज्जती भारी
बोलो तारा रा रा रा
पर सुनो...हंसना मना है।।

जिंदगी बीत गए मां को 
बेटे के लिए खाना बनाते
आज एक बीवी के लिए
बेटे खाना बनाते
शर्म नहीं आती उन बेटों को
अपने मां-बाप को वृद्धाश्रम पहुंचाते
बोलो तारा रा रा रा
पर सुनो... हंसना मना है।।

पानी बरसा छम छम छम
छाता लेकर निकले हम
पैर फिसला गिर गए हम
कीचड़ ऊपर नीचे हम
सड़क पर कुड़ा फेंकते हम
फिर भी सरकार को गाली देते हम
बोलो तारा रा रा रा
पर सुनो, हंसना मना है।।

राधा रानी

Wednesday, September 19, 2018

अच्छा नहीं हुआ

इन चंद महीनों के दौरान
जो हुआ
वो अच्छा नहीं हुआ
ना मुझमें सय्यम रहा
ना उसने सेय्यम रखा
दोनों ने खोया
कुछ हासिल न हुआ
चंद लालची लोगों का ही
बोलबाला रहा
जो भी हुआ
अच्छा नहीं हुआ
मैं थी ही बेवकूफ
पर तुम भी समझदार न थीं
तुम्हें समझाना मेरा
सब बेकार गया
तुम्हें भी वही मिला
जो मुझे मिला
इन चंद महीनों के दौरान
जो हुआ
वो अच्छा नहीं हुआ।।

राधा रानी

Friday, September 14, 2018

हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई

अ से अ:
क से ज्ञ
इनसे बनती हिन्दी वर्णमाला है
हिन्दी के हर शब्दों की 
बनती इन्हीं से माला है
हम भारत के रहने वाले
हिन्दी हैं हम...कहे जाते हैं
हिन्दी भाषा ही ...
भारत की राजभाषा है
हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई

राधा रानी

Sunday, September 9, 2018

किताबें बात करना चाहती हैं...

कई अरसों से 
तुम्हें मेरी याद नहीं आईं
कैसे भुला दिया तुमने
मेरे स्पर्श को
जब तुम घंटों मुझे छुआ करते थे
मुझे निहारा करते थे
तब मुझे मेरे होने का
एहसास हुआ करता था
कैसे भुला दिया तुमने
मेरे हरपल के साथ को
बचपन में स्कूल तक
जवानी में कालेज तक 
दिन में पार्क तक
रात में नींद आने तक 
तुम्हारा साथ दिया मैंने
पर आज क्या हुआ
क्यों अकेला छोड़ दिया मुझे
यूं आलमारी में सड़ने के लिए
सिर्फ मोबाइल और कंप्यूटर के लिए
मैं हरपल तुम्हारी राह तकती हूं
सायद आज छु लो मुझे
मुझे यूं अकेला न छोड़ो
दम घुटता है मेरा
यूं आलमारी में परे परे।।

राधा रानी :)

Saturday, September 8, 2018

चना, चुड़ा, मुंगफली, मकई


मुड़-मुड़ करती
चुड़-चुड़ करती
मन को बहुत भाती है
चना, चुड़ा, मुंगफली, मकई
भुंनकर बनाई जाती है
मन चाहे तो खाते रोज 
पर शनिवार को अहम है
कहते सब ये ग्रह को काटे
भुंजा इसका नाम है
आसानी से भुख मिटाती
सस्ते में आ जाती है
गुरूवार को खाने से 
बृहस्पति नाराज हो जाते हैं
आज खाते-खाते ये भुंजा मुझको
मन को इतने भाया है
इसलिए ये कविता मैंने 
आपको पढ़ाया है।। 

राधा रानी

Tuesday, September 4, 2018

शुक्रिया सर....!

शुक्रिया सर.....

हमारे जीवन के पहले गुरु ... मैं उनको शुक्रिया कहना चाहती हूं, जिन्होंने मुझे क और ख लिखना सिखाया। 

मैं उनको धन्यवाद कहना चाहती हूं जिन्होंने मुझे अपने बकरी चराने के वक्त भी मुझे कखगघड़ पढ़ना सिखाया। 

मैं उनको धन्यवाद कहना चाहती हूं जिन्होंने मुझे +-*√× सिखाया और साथ साथ डरना सिखाया कि कैसे पढ़ाई न करने और मार खाने की डर से सारे जगह से डंडा हटाना।

मैं उनको शुक्रिया कहना चाहती हूं जिन्होंने मुझे हिम्मत दी की मैं फिर से पढ़ाई शुरू कर सकूं।(उस वक्त 3rd क्लास में फेल होने के कारण मां ने मेरी पढ़ाई बंद कर दी थी।)और उन्हीं के वजह से मैं आज तक पीछे मुड़ कर नहीं देखी।

इस बीच मैंट्रीक के समय पढ़ाने वाले संस्कृत शिक्षक का भी धन्यवाद कहना चाहती हूं जिन्होंने मेरा संस्कृत पढ़ना आसान बनाया।

मैं जिस काम के कारण जानी जाती हूं (Editing) को सिखाने वाले गुरु को भी शुक्रिया कहना चाहती हूं।

मैं वो हर इंसान को धन्यवाद कहना चाहती हूं जिन्होंने मुझे जिंदगी में कुछ न कुछ सिखाया ही है।

मैं नहीं जानती कि हमारे बचपन के टिचर जिंदा भी हैं या नहीं... पर मुझमें तो वो कहीं न कहीं दिखाई दे जाते हैं।

Happy Teacher's Day
धन्यवाद
राधा रानी

Thursday, August 30, 2018

स्नेह, प्यार, ममता, दुलार... बस मिल जाए


याद है मुझे... उसकी मासुमियत
अलहर सी...हर वक्त फुदकती रहती थी
उसका भोलापन, उसकी सादगी ही
उसका खजाना हुआ करता था
पर आज उसे देखती हूं तो
लगता है मानो वो खो गई हो
वो अब वो न रही
काफी बदली सी नज़र आ रही थी
आखि़र क्या हो गया उसे
मैंने पूछा , कहां खो गई हो तुम
तुम्हारी हंसी किधर गुम है
बोली, मैंने उसे कैद कर रखा है
बस ढूंढ रही हूं, लोगों के अंदर
स्नेह, प्यार, ममता, दुलार
मिल जाए तो मुक्त कर दुंगी
उस हंसी को, जिसे मैंने कैद कर रखा है
जो कभी मेरे पल-पल की साथी थी
बस ढूंढ रही हूं, लालची लोगों के अंदर
स्नेह, प्यार, ममता, दुलार
बस मिल जाए।।

राधा रानी

Thursday, August 23, 2018

आखि़र क्या चाहते हैं हम



आखि़र क्या चाहते हैं हम
अंधों की तरह दौरे चले जा रहे हैं
क्या है हमारी मंजिल
किस चिज़ की तड़प है
जिसे पाने के लिए अनेकों पाप के 
भागीदार बने जा रहें हैं..
थोड़े से पैसों के लिए 
अपना इमान बेच रहे हैं..
चंद ऐशो-आराम के लिए 
मां-बाप को वृद्धाश्रम भेज रहे हैं..
अपने हवस की भुख के लिए
अपने ही बहु-बेटियों को नोच रहे हैं..
थोड़े से समय को बचाने के लिए
ट्रैफिक रुल तोड़ रहे हैं..
आखि़र क्यों?
क्यों अपने बच्चों को अकेला कर रहे हैं
क्यों परिवार से दूर हो रहें हैं
क्यों अपने ही देश को निर्धन बना रहे हैं
आखि़र क्यों?
आखि़र क्या चाहते हैं हम....

राधा रानी

Monday, August 20, 2018

तेरे ख्यालों से..!!

तू ही हकीकत
तू ही खवाब 
तुझसे ही मेरा कल 
तुझसे ही मेरा आज
तु ही मेरी दुनिया 
तु ही मेरा सपना 
लाख करले लोग जुदा 
हो न सकुं तुझसे जुदा
रहती हूँ दूर तुझसे
पर रहती नहीं दूर
तेरे ख्यालों से..!!

राधा रानी

Friday, August 17, 2018

हमें आजादी चाहिए

आजादी है हमें लानी
आजादी है हमें पानी
लानी है हमें ...
लड़कियों के मन में आजादी
दिलानी है हमें ...
उनके हौसले को आजादी
हमें आजादी नाम की नहीं
हमें सच की आजादी चाहिए।
हमें आजादी उस डर से चाहिए
जिस डर की आहट हमें
कदम-कदम पर डराती है।
हमें आजादी उन नज़रों से चाहिए
जिन नज़रों में वासना भरी हो।
हमें आजादी उन दबी-कुचली सोंच से चाहिए
जिस सोंच के आगे हम बेबस हो जाते हैं।
हमें आजादी उन चार दिवारी से चाहिए
जिन दिवारों ने हमें ...
उड़ने का मौका नहीं दिया।
अब हमें आजादी चाहिए
और हम ये पा कर रहेंगे
ताकि हम उड़ सके
मुक्त हो कर...खुली हवा में।।

राधा रानी

Sunday, August 12, 2018

मुझे अच्छा नहीं लगता

मुझे अच्छा नहीं लगता
तुम्हें परेशान करना
पर क्या करें, ये गलती बार बार होती है।
मुझे अच्छा नहीं लगता
तुम्हें खफ़ा करना
पर क्या करें, तुम्हें खफ़ा बार बार करती हूं।
मुझे अच्छा नहीं लगता
तुमसे दूर जाना
पर क्या करें, मुझे मेरी जरुरत 
तुमसे दूर ले जाती है।
मुझे अच्छा नहीं लगता
लोगों का तुमसे दूर जाना
पर क्या करें यार
मैं लोगों की सोच बदल नहीं सकती।
मुझे अच्छा नहीं लगता
तुम्हारा तनहा तनहा रहना 
पर क्या करुं, मैं कुछ कर नहीं सकती।
ILoveYou

Radha Rani

Saturday, August 11, 2018

बिंदी

बिंदी से श्रृंगार यौवन का
बिंदी से ही सुहाग सलामत
बिंदी से ही लगता हमेशा
हमारे रूप में चार चांद
शादी से पहले रूप निखारे
शादी बाद बने सुहाग 
हर औरत के चेहरे पर बिंदी
कर जाए कुछ अलग कमाल
छोटी हो या बड़ी बिंदी
हर चेहरे पर शोभती है
काली हो तो फैशन है
लाल हो तो सुहागिन है
पर मत भुलो इन सब के अलावा भी
बिंदी कुछ और ही काम कर जाती है
एक्यूप्रेशर के द्वारा बिंदी 
मन की शांति पहुचाती है।।

Radha Rani

Friday, August 3, 2018

कहां फंस गए हैं


कहां फंस गए हैं 
कुछ समझ नहीं आता
शांति की चाहत 
बढ़ती ही जा रही है
चारों तरफ लोग हैं
कोई अपना नहीं 
सभी के चेहरों पर 
एक मुखौटा लगा है
पल में कोई अपना होता है
पल में पराया
चहूं ओर फरेब है मक्कारी है
ऐसे हैं लोग जो अपने कहलाते हैं
कहां फंस गए हैं 
निकल नहीं पा रहें।।

राधा रानी

Saturday, July 28, 2018

बच नहीं सकते

बच नहीं सकते
तुम अपने कर्मों से
जिनमें तुमने गुनाह के 
जो दरिया बहाएं हैं
हिसाब देना होगा ऊपरवाले को
जिन कर्मों से तुमने
पाप की गठरी कमाई है
जो करोगे, जैसा करोगे
जिसे सताओगे, जिसे रुलाओगे
उसकी आह घेरेगी तुमको
बच नहीं सकते
उसका हिसाब देना होगा

राधा

Thursday, July 26, 2018

इमारत ढह रही है

बचालो अपने आशियाने को
इमारत ढह रही है
क्या बचा पाओगे
अपने बुढ़े इमारत को
जो कभी भी तुम्हारा साथ छोड़ देगी
तुम जीवन भर एक गलती दोहराते आए
अपने सिर के छत की कदर नहीं की
तुमने उसे अपने हाल पर छोड़ दिया
बहुत सारी यातनाओं के साथ
तपने के लिए
मौसम का तंश झेलने के लिए
तुम्हें तनिक भी तरस नहीं आया
तुम्हें उसकी कुर्बानी कभी याद नहीं आई
कभी तो याद कर लेते
उस इमारत की एक एक ईंट तुम्हारे लिए थी
पर तुमने क्या दिया
अकेले छोड़ दिया
अब इमारत ढह रही है
हर ईंट कमजोर हो चुकी है 
थोड़ी देर के लिए अपना समय निकालो
उसे प्यार दो
ताकि ढहने से पहले उसे 
तुम्हारे उसके अपने होने का एहसास हो जाए
क्योंकि इमारत ढह रही है।।

राधा 

Wednesday, July 18, 2018

कर लेती जिंदगी रिवाइंड


जिंदगी में अगर रिवाइंड बटन होता
कर लेती जिंदगी रिवाइंड
भुला देती उन चार सालों को
जिसने दिए मुझे मानसिक जख्म हजार
खो जाती उन लम्हों में 
जिन लम्हों में मेरा बचपन था
जहां मां का डांट था
तो पिता की फटकार भी 
कर लेती कैद खुद को वहीं
जहां भाई का झगड़ा था
तो बहन का प्यार भी 
रोक लेती उन पलों को
जिनमें घर से जुदाई था
लौट जाती वहीं पर 
जहां मां की ख्वाहिश थी
जिंदगी में अगर रिवाइंड बटन होता
कर लेती जिंदगी रिवाइंड
सोंचती हूँ क्यों जिंदगी ऐसे सताती है
पल में हंसाती है तो पल में रुलाती है
जिंदगी के भागमभाग में 
फंस सी गई हूँ मैं
चारो तरफ अंधेरा है
उजाले का नामोनिशान नहीं
अगर जिंदगी में रिवाइंड बटन होता
तो कर लेती जिंदगी रिवाइंड।।

RADHA

Tuesday, July 17, 2018

वादा कौन निभाता है



वादा कौन निभाता है जो वादे करता है और मैंने किये थे तुमसे कई वादें आज निभा नहीं पा रही हूं तुम्हारे साथ कदमताल कर चलने का वादा क्या निभा पाई हूं तुमसे टूट कर प्यार करने का वादा वो भी तो न हुआ मुझसे बेशक मैंने कई वादें किये हैं तुमसे क्या हक था, मुझे वादें करने का नहीं ना वादें तुमने भी मुझसे किये थे कई तुमने भी तो‌ नहीं दिया साथ मेरा आज सिर्फ वादे किए जाते हैं लोगों को निभाना नहीं आता है।। Written by Radha Rani

Monday, July 16, 2018

वादा कौन निभाता है

वादा कौन निभाता है
जो वादे करता है
और मैंने किये थे तुमसे कई वादें
आज निभा नहीं पा रही हूं
तुम्हारे साथ कदमताल कर चलने का वादा
क्या निभा पाई हूं
तुमसे टूट कर प्यार करने का वादा
वो भी तो न हुआ मुझसे
बेशक मैंने कई वादें किये हैं तुमसे
क्या हक था मुझे वादें करने का
नहीं ना
वादें तुमने भी मुझसे किये थे कई
तुमने भी तो‌ नहीं दिया साथ मेरा
आज सिर्फ वादे किए जाते हैं
लोगों को निभाना नहीं आता है।।
Written by Radha Rani


Saturday, July 14, 2018

ये ओ आज धूप निकली है

अंधेरे को त्याग
उठ खड़ा हो
देख तो बाहर
धूप निकली है
झिझक मत, खुद को सम्भाल
कब तक अंधेरे को साथी समझोगा
अंधेरा गुमनामी देगा
अपनों से दूर करेगा
तुमको तुमसे दूर करेगा
तुम्हारे सपनों को चुर करेगा
तो उठ खड़ा हो
देख तो बाहर
धूप निकली है
ये उजाला तुमको हिम्मत देगा
नई उर्जा का तुममें संचार करेगा
ये जो आज धूप निकली है।।
Written by Radha Rani

Thursday, July 12, 2018

क्या खोया क्या पाया

जीवन के इस सफर में
क्या खोया क्या पाया हमने
कभी ग़मो का प्याला मिला
कभी रुसवाईयों की थाली
कभी उलझनों का दौड़ रहा
कभी विरानियां ही विरानियां
जीवन के इस सफर में
सिर्फ खोया ही खोया हमने
जिंदगी के आपाधापी में
थक गई हूं मैं
गुनहगार सी लगती हूं
खुद को जब देखती हूं आईने में
सोचती हूं, क्यों नहीं कुछ किया हासिल
हमेशा रही तनहाईयों में।।

Written by Radha Rani

Tuesday, July 10, 2018

बातें करते रहिए

कुछ इधर की, कुछ उधर की
कुछ खट्टा, कुछ मिटा
बातें करते रहिए
लोगों को हंसाके
खुद रो लिजिए
पर बातें करते रहिए
बातों में दम रखिए
बातों में सच्चाई रखिए
पर बातें करते रहिए
बातों को झुठ परोसिए
या सच परोसिए
पर बातें करते रहिए।।
Written by Radha Rani

Monday, July 9, 2018

शाम होने को है

फिर शाम होने को है
फिर शाम होने को है
दिल पर तेरी दस्तक होने को है
फिर शाम होने को है
हवाओं में गीतों की 
महफ़िल सजने को है
फिर शाम होने को है
तेरी खुशबू से
मन मेरा बहकने को है
अब फिर शाम होने को है
तेरी आने की आहट से
मन में मधुर संगीत बजने को है
फिर शाम होने को है
तुझसे दीदार-ए-अरमा 
मुकम्मल होने को है
फिर शाम होने को है
तेरी खुशबू से मन बहकने को है
अब फिर शाम होने को है।।
Written by Radha Rani


Sunday, July 8, 2018

मुझे क्या पता था

मुझे क्या पता था
जिंदगी जल्द रंग लाएगी
रंग भी लाएगी 
और बदरंग भी हो जाएगी।
मुझे क्या पता था
जिनसे दोस्ती चाहुंगी
वो नफरत थमा जाएंगे
मुझे क्या पता था
जो अपने कहलाएंगे
वो अब गैरों सा नज़र आएंगे।
मुझे क्या पता था
जिन्हें दिल का नजराना दुंगी
वो बदले में कफ़न भेंट कर जाएंगे
मुझे क्या पता था ऐ जिन्दगी
तुम इतना तड़पाओगे
जान तो निकालोगे
पर उफ़ तक ना कर पाऊंगी।।

Written by Radha Rani 

मैं कहीं नहीं

एक सवाल है
दे सकते हो जवाब?
पहचान तुम्हारी भी है
पहचान हमारी भी है
फिर ये भेदभाव कैसा
क्यों तुम पहले हो?
और मैं बाद में
दे सकते हो जवाब?
क्यों तुम ही तुम होते हो
और मैं कहीं नहीं?

Written by Radha Rani

Saturday, July 7, 2018

एक सवाल है ...!

एक सवाल है 
मेरा उन हरामखोरों से
जो बिना मेहनत के 
अमीर बनने का ख्वाब देखते हैं।

एक सवाल है 
मेरा उन हैवानों से
जो अपनी मां, बहन, बेटियों को छोड़
दुसरे के मां, बहन, बेटियों पर नजर डालते हैं।

एक सवाल है
मेरा उन अमीरों से
जो गरीबों को 
अपने पैरों की जुती समझते हैं।

एक सवाल है
मेरा उन ससुराल वालों से
जो बहुओं को खरीदी गई
कठपुतली समझते हैं।

एक सवाल है
मेरा उन माता-पिता से
जो बिना देखे 
अपने जिगर का टुकड़ा
हैवानों के हाथ सोंप देते हैं।

एक सवाल है सरकार से
कब अपराध खत्म होगा?
कब किसानों को सही दाम मिलेगा?
कब सड़कें बरसात में बिगड़ेगी नहीं?
आखिर कब, एक सवाल है।।
Written by Radha Rani

Friday, July 6, 2018

यहां हम सब अकेले हैं


यहां हम सब अकेले हैं
हमारा जो भी है, वो भ्रम है
मोह है, माया है
इस प्यारी वसुंधरा पर 
हम अकेले आए थे, अकेले ही जाएंगे
जोभी लेंगे यहीं का लेंगे
जोभी देंगे यहीं का देंगे
खाली हाथ आए थे
खाली हाथ जाएंगे
तुम मत सोचो, तुम्हारे हिस्से क्या है
तुम सोचो तुम्हारे बाद
जो भी है, तुम्हारे अपनों का है
फिर भी चाहत मत रखना 
तुम, तुम्हारे अपनों का
क्योंकि, यहां हम सब अकेले हैं।।
Written by Radha Rani


Wednesday, July 4, 2018

उलझे सुलझे रिश्ते

उलझे सुलझे रिश्ते सुलझाउं कैसे
इस बेदर्द दिल को मनाऊं कैसे
कई उलझे रिश्ते हैं दरमियान हमारे
जो कभी ना सुलझेंगे, मन कहता है
ये रिश्ते भी अजीब होते हैं
न चाह कर भी रिश्ते होते हैं
कभी रिश्ते हंसा जाते हैं
कभी रिश्ते रुला जाते हैं
कभी ऐसा जख्म दे जाते हैं
जो नासुर बन हमें तड़पाते हैं
ये रिश्ते सच में अजीब होते हैं
उलझे सुलझे रिश्ते गरीब होते हैं
क्या रिश्ते ऐसे ही होते हैं?

- राधा रानी -

Monday, July 2, 2018

ख्वाब देखते जाओ



ऐ मेरे मन
तु भाग, दौर, 
पाने की कोशिश कर
इच्छा रख
पर तुम ख्वाब देखते जाओ

हर ख्वाब तुझे कुछ सिखायेगा
तुझे भुलाएगा
तुझे रूलाएग
तुझे जीने का ढंग बताएगा
पर तुम ख्वाब देखते जाओ

ख्वाब तो जिंदगी का हिस्सा है
वो जिंदगी की तड़प है
ख्वाब पुरे न हो तो क्या
पर तुम ख्वाब देखते जाओ।

ख्वाब तो जिंदगी जीने की वजह है
ख्वाब धोखा है
ऐसा धोखा जिसे कोई देता नहीं
खुद पाया जाता है
पर तुम ख्वाब देखते जाओ।


Radha Rani


Sunday, July 1, 2018

उसके बारे में

उसके बारे में क्या कहूं
वो हवा है
जो महसूस तो होगा 
पर दिखाई नहीं देगा।
वो पानी है
जो अपना रास्ता खुद बनाते हैं।
वो मिट्टी है
जिसे जिस रूप में ढालो 
वो उस रूप में ढ़ल जाए।
वो पत्थर है
उसपर किसी बात का
असर नहीं होता
वो चट्टान है
वो अडिग है
वो भ्रमित नहीं है
उसके बारे में क्या कहूं
वो तो अलग है
अनोखा है
बिल्कुल अलग।।
Written by Radha Rani

Thursday, June 28, 2018

मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं

तुम मेरी जिंदगी हो
ये मेरी खता है
मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं
मुझे तुमसे प्यार है
ये मेरा जुनून था
मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं
आज जो हालात हैं
उसकी वजह मैं हूं
मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं
तुमको मुझसे उम्मीदें थीं
 मैं पुरा न कर सकी
मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं
तुमने मुझसे बेहतर 
प्यार करने की कोशिश की
पर कर न सके
मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं।
Written by Radha Rani


Wednesday, June 27, 2018

तुम आ गए हो


तुम आ गए हो
नूर आ गया है
नहीं तो जिंदगी 
बदरंग हो गई थी
मुझे जीने की तुमसे 
वजह मिल गई है
नहीं तो जिंदगी
मौत को रो रही थी
तुम आ गए हो
बहार आ गया है
नहीं तो जिंदगी
विरान हो गई थी
जीने की तुम ही 
वजह बन गए हो
तुम आ गए हो
नूर आ गया है।
Written by Radha Rani

Sunday, June 24, 2018

मन मर्जी के मालिक हम

मन मर्जी के मालिक हम
जो भी करते 
मन की करते
किसी की बातों को नहीं सुनते
दुनिया चाहे लाख कहे अपनी
पर  हम सिर्फ अपनी सुनते
हम तो मन मर्जी मालिक हैं
दुनिया की परवाह करें क्यों
दुनिया सिर्फ लेती है
देती सिर्फ सितम है
हम तो मन मर्जी मालिक हैं
अपने मन के सिकंदर हैं
सारे फैसले मेरे जेब के अंदर 
अपना तुती बजाती हूं
हम तो मन मर्जी मालिक हैं
अपनी ही सिर्फ हम सुनते।।
Written by Radha Rani

Saturday, June 23, 2018

अधूरी कहानी


हमारी अधूरी कहानी
जो अधूरी ही रह गई
मिलन की आस हमेशा रही
पर वो आस कभी ना पास हो सकी
हमारी अधूरी कहानी
कहानी तुम्हारी मेरी जरुरत की
कहानी तुम्हें पाने की
कहानी तुम्हें हासिल करने की
वो कहानी जिससे मैं पा सकती थी
उन ऊंचाइयों को
जिनकी आस आज सभी करते हैं
कहानी एक मुकम्मल जहां की
वो जहां, जिसमें
सुकुन है... चैन है
वो जहां, जिसमें वो है
उसका प्यार है
पर हमारी अधूरी कहानी 
अधूरी ही रह गई।

Written by Radha Rani

Friday, June 22, 2018

जब देखो रोते रहते हो

हर बात पर लड़ना
हर बात पर बिगड़ना
बिना मतलब के 
तु तु मैं मैं करना
फिर मेरा रुकना
तेरा मुझे चिढ़ाना
फिर तेरा कहना...
जब देखो रोते रहते हो
ये भी कोई बात है।
मेरा चुप होना
जैसे तुम्हारी लौटरी लगना
फिर से चिढ़ना
और मेरा रोना
और तेरा कहना...
जब देखो रोते रहते हो
ये भी कोई बात है।

Written by Radha Rani

क्यों करते हो मुझसे नफरत ?

क्यों करते हो मुझसे नफरत ?
क्यों नही मुझे पसंद करते ?
क्या तुम लोग निष्ठुर हो ?
मैं क्या हूं...?
एक तुम्हारे जैसी इंसान ही तो
फिर ऐसी नफरत क्यों ?
तुम लोग कहते हो,
मेरे वचन करवें हैं
पर सोंचो...
क्या तुम्हारे जुबां में पंख नहीं लगे
तुम्हारे जुंबा भी तो 
आजादी से फरफराते रहते हैं
चाहे मुझे बुरा लगे या भला
पर तुम्हारे जुबां ..
अपने पंख फरफराना नहीं भुलते
तब मैं क्या करूं...
अपना पक्ष ना लुँ
इसलिए मैं पंसद नहीं
क्योंकि मैंने अपना पक्ष लिया।
तो रहने दो
करते रहो नफरत
बने रहो निष्ठुर
अपने जुबां के पंख फरफराते रहो
मैं नहीं बदलुंगी...
मैं आजाद हूं...आजाद रहूंगी।

Written By Radha Rani

Thursday, June 21, 2018

योग है यह भी


जब मनुष्य नित्य प्रति उठ
घर का पुरा काम करें
तो समझो, योग है यह भी

जब किसान निस्वार्थ
समाज के जीवन के लिए
अहले सुबह अपने खेत को जोते
तो समझो, योग है यह भी

एक मजदूर अपना पसीना बहा
अपने परिवार के जीवन यापन के लिए
जब मजदूरी करें
तो समझो, योग है यह भी

जब जवान सरहद पर
देश के लिए अपना खून बहाए
तो समझो, योग है यह भी

जब राज्य का नेता
निस्वार्थ राज्य के उन्नती का सोचे
तो समझो, योग है यह भी

हम इंसान अपने जीवन का हर पल
दुसरों के भलाई के लिए 
न्यौछावर कर दें
तो समझो, योग है यह भी
Written by Radha Rani

Wednesday, June 20, 2018

बार बार दिन ये आए

एक असहनीय पीड़ा
एक अजब सी कसमकस
थी परेशान
कुछ खुद के सवालों में उलझी
क्या होगा?, कब होगा?, होता क्यों नहीं?
अचानक से एक गहरा सन्नाटा
और मेरी कानों ने कुछ सुना
तुम्हारी आवाज़
रोने की थी, मैं परेशान तो हुई
मगर मेरे मन को आनंदित भी कर रही थी
पहली बार जब तुमको छुआ था
अजब सा एहसास हुआ था 
20 जून 2016 का दिन
फिर से आया है
मेरी खुशीयों को दोगुना करने
आज ही के दिन तुम आए थे
मेरी दुनिया में एक नया रंग भरने
मुझे अधुरे से पुरा करने
तुम्हारी मुस्कान मेरी जिंदगी है
तुम सदा मुस्कुराते रहो
यही आरज़ू है।।
Happy birthday to you betu.... muhhhhha

Written by Radha Rani

देखो देर ना करना

सुबह से शाम हो गई
अब तो आ जाओ
देखो देर ना करना।
तुम्हारे इंतजार में
आंखों के आंसू सुख गए
देखो देर ना करना।
अगर तुम न आए
मैं तो रोऊंगी ही
साथ में धरती रोएगी
आकाश रोएगा
नदियां रोएगी
खेत-खलिहान रोएंगे
अब तो आ जाओ
देखो देर ना करना।
तुम आते तो हो
बस झलक दिखाने
जरा ठहरो, मुझे यकीन दिलाओ
कि तुम आए हो
अब तो आ जाओ
देखो देर ना करना।
Written by Radha Rani

Monday, June 18, 2018

वहां पहले वाली बात नहीं।


जब भी गुजरती हूं उन गलियों से
जहां मैं खेला करती थी
वो एखट-दुखट
वो सखियों के साथ भागम-भाग
अब बदल गई हैं गलियां
वहां पहले वाली बात नहीं।

वो घर के बगल का मंदिर
जहां मैं रातों में पढ़ा करती थी
वो रामायण का पाठ
अब कोई नहीं करता
वहां पहले वाली बात नहीं।

वो हमारे स्कूल और कॉलेज
हैं तो वहीं, कुछ नहीं बदला
पर बदल गए हैं अध्यापक
बदल गए हैं दोस्त
वहां पहले वाली बात नहीं।

मेरे पिता का आंगन
आज भी सुहाना है
उनका प्यार भी खजाना है
पर आज वहां
पहले वाली बात नहीं।

मेरा घर आंगन
जहां दुल्हन बनकर आई
अपने को छोड़, अपना बनाने आई
जहां प्यार भी मिला
सम्मान भी मिला
अब न प्यार है न सम्मान 
अब वहां पहले वाली बात नहीं।

Written by Radha Rani

मेरे पापा


Sunday, June 17, 2018

यादों के जंगल में गुम


अकसर रातों में
यादों के जंगल से 
मेरी बारात गुजरती है
और कहीं गुम हो जाती है
अकसर रातों में
यादों में कभी तुम होते हो
कभी तुम्हारी यादें होती हैं
तुम्हारी यादों का जंगल बहुत घना है
चाह कर भी नहीं निकल पाती हूं
इस जंगल में तुम्हारी याद है
तुम्हारा प्यार है
तुम्हारी नफरत है
तुम्हारी बेवफाई है
ये सब मिल मुझे घेरे हुए है
मुझे निकलने नहीं देती
और सायद कभी निकल पाऊं
अकसर रातों में
यादों के जंगल में गुम हो जाती हूं।

Written by Radha Rani


Saturday, June 16, 2018

उसकी तस्वीर से बातें करती थी

जब भी तनहा होती थी
उसकी तस्वीर से बातें करती थी
कोई न था जब पास मेरे
उसकी तस्वीर सिरहाने रहती थी
जब भी मन होता था बोझिल
उसकी तस्वीर से मन बहलाती थी
वो दूर था मुझसे फिर भी
उसकी तस्वीर पास रहा करती थी
हर व्रत को मेरे पुरा
उसकी तस्वीर किया करती थी
रातों को जब भी मन उदास हुआ
उसकी तस्वीर से बातें करती थी
वो जब न था पास मेरे
उसकी तस्वीर पास रहा करती थी।।

,Written by Radha Rani

अब भी दिल रो देता है

अब भी दिल रो देता है जब भी उन गलियों से गुजरती हूं तेरे होने का एहसास होता है अचानक से कदम खुद रुक जाते हैं और मैं वहीं एक टक तुम्हें वही ढु...