क्यों करते हो मुझसे नफरत ?
क्यों नही मुझे पसंद करते ?
क्या तुम लोग निष्ठुर हो ?
मैं क्या हूं...?
एक तुम्हारे जैसी इंसान ही तो
फिर ऐसी नफरत क्यों ?
तुम लोग कहते हो,
मेरे वचन करवें हैं
पर सोंचो...
क्या तुम्हारे जुबां में पंख नहीं लगे
तुम्हारे जुंबा भी तो
आजादी से फरफराते रहते हैं
चाहे मुझे बुरा लगे या भला
पर तुम्हारे जुबां ..
अपने पंख फरफराना नहीं भुलते
तब मैं क्या करूं...
अपना पक्ष ना लुँ
इसलिए मैं पंसद नहीं
क्योंकि मैंने अपना पक्ष लिया।
तो रहने दो
करते रहो नफरत
बने रहो निष्ठुर
अपने जुबां के पंख फरफराते रहो
मैं नहीं बदलुंगी...
मैं आजाद हूं...आजाद रहूंगी।
Written By Radha Rani
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