जब भी तनहा होती थी
उसकी तस्वीर से बातें करती थी
कोई न था जब पास मेरे
उसकी तस्वीर सिरहाने रहती थी
जब भी मन होता था बोझिल
उसकी तस्वीर से मन बहलाती थी
वो दूर था मुझसे फिर भी
उसकी तस्वीर पास रहा करती थी
हर व्रत को मेरे पुरा
उसकी तस्वीर किया करती थी
रातों को जब भी मन उदास हुआ
उसकी तस्वीर से बातें करती थी
वो जब न था पास मेरे
उसकी तस्वीर पास रहा करती थी।।
,Written by Radha Rani
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