Sunday, April 22, 2018

मत मनाओ EARTH DAY


धरती कहे-कहे पुकार
तुमने मेरा क्या कर दिया हाल
सांस भी नहीं ले पाती मैं
तुमने जो पाप किये हैं आज
हर जगह गंदगी फैलाई है
लुट-खसोट मचाई है
रेप-बलातकार के कारण ही
मेरा ये हाल हुआ
कैसा मैंने खुद को सौंपा था 
कैसा मुझे -मुझको लौटा रहे...
तुम्हारे EARTH DAY मनाने से
मेरा क्या हाल सुधर पायेगा...
सुधारना है तो खुद को सुधारो
फिर EARTH DAY मनाना तुम
सांस भी नहीं ले पाती मैं
तुमने जो पाप किये हैं आज

Written By- Radha Rani

आज धरती दिवस यानी अंग्रेजी में कहें तो EARTH DAY है...लोग बड़े गर्व से हर साल EARTH DAY मनाते हैं
और तरह-तरह की बातें और तस्वीरें पोस्ट कर के अपना पीठ थपथपा लेते हैं...पर क्या आज जो धरती की हालत है, EARTH DAY मनाने लायक है ? 

मैं कहूँगी नहीं....धरती गंदी हो गई है...धरती पर रहने वाले हर लोगों की सोंच गंदी हो गई हैं...हमलोगो ने धरती को गटर में डुबो दिया है...

मेरी ये सोंच पर आप लोगो को गुस्सा भी आ सकता है ...पर दोस्त सच बात हमेशा करवी ही होती है....
आज धरती पर कितने अपराध हो रहें हैं...सबसे घिनौना काम तो रेप हो रहा है .....और वो भी उन बच्चियों से जिनको दुनियादारी की समझ ही नहीं...जो अभी धरती पर ठीक से खड़ा होना ही सीख पाईं हैं....

मुझे तो अपने आप पर गुस्सा आता है की मैं कुछ नहीं कर सकती...हो सकता है मैं कर सकती हूँ पर डरती हूँ...आज हर इंसान डरता है...कोई भी इन झमेलों में नही परना चाहता...और जो लोग परते भी हैं तो सिर्फ अपना उल्लु सीधा करने के लिए..

याद करो जब शुरूआत की धरती के बारे में हम पढ़ते थे, तो क्या ऐसी ही बताई गई थी हमारी धरती.......नहीं ना, तो सोचो कैसे हो गई हमारी धरती गंदी...हमने बनाया है इसको गंदा..... हमे EARTH DAY मनाने का कोई हक नहीं...मत मनाओ EARTH DAY....मत करो ये ढ़ोंग

Written By- Radha Rani

Saturday, April 14, 2018

पांडवों ने श्रीकृष्ण से पूछा, कलियुग में मनुष्य कैसा होगा ?

एक बार पांडवों ने श्रीकृष्ण से पूछा, कलियुग में मनुष्य कैसा होगा? श्रीकृष्ण ने कहा, तुम पांचों वन में जाओ और जो भी दिखे, उसके बारे में बताओ। पांचों भाई वन में गए। वहां युधिष्ठिर ने देखा कि किसी हाथी की दो सूंड है। अर्जुन दूसरी दिशा में गए। 

वहां उन्होंने देखा कि एक पक्षी के पंखों पर वेद मंत्र लिखे हुए हैं, पर वह मांस खा रहा है! भीम ने देखा कि गाय अपने बछडे़ को इतना चाट रही है कि वह लहूलुहान हो रहा है।

सहदेव ने छह-सात कुएं देखे, जिसमें बीच का कुआं खाली है। नकुल ने देखा कि पहाड़ के ऊपर से एक बड़ी शिला लुढ़कती हुई आई, वह कितने ही वृक्षों से टकराई, मगर अंत में एक अत्यंत छोटे पौधे का स्पर्श होते ही वह स्थिर हो गई।

शाम को वे सभी श्रीकृष्ण के पास गए और उन्होंने अपने दृश्यों का वर्णन किया। युधिष्ठिर ने कहा, मैंने दो सूंड वाला हाथी देखा, तो श्रीकृष्ण ने कहा, कलियुग में ऐसे लोगों का राज होगा, जो दोनों ओर से शोषण करेंगे। 

वे बोलेंगे कुछ और करेंगे कुछ।अर्जुन की बातें सुनकर कृष्ण ने कहा, कलियुग में पंडित और विद्वान कहलाने वाले लोग बहुत होंगे, किंतु वे इसी ताक में रहेंगे कि कौन-सा मनुष्य मरे और उनके नाम से संपत्ति कर जाए। कोई विरला ही संत होगा। 

भीम के आश्चर्य के बारे में श्रीकृष्ण का जवाब था, कलियुग का आदमी अपनी संतानों को इतना लाड़ करेगा कि उसे अपने विकास का अवसर ही नहीं मिलेगा। सहदेव के देखे आश्चर्य का अर्थ था कि लोग वैवाहिक आयोजन में, अन्य छोटे-बड़े उत्सवों में तो लाखों रुपये खर्च कर देंगे, परंतु पड़ोस में ही यदि कोई भूखा-प्यासा होगा, तो यह नहीं देखेंगे कि उसका पेट भरा है या नहीं। 

पांचवें आश्चर्य के बारे में कृष्ण का कहना था, यह मन की उस गिरावट का संकेत है, जो भगवन्नाम के जप से ही रुक सकेगा।

Friday, April 13, 2018

निर्भया का एक सवाल 😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔

आसमाँ में बैठी निर्भया ....
पूछ रही बस यही सवाल ....
प्यारी आसिफा तुम बतलाओ
कितना बदला हिंदुस्तान ....!
मेरे पर जो जुल्म हुआ तो ....
सड़कों पर था हिंदुस्तान ....
कहते थे सब अब ना होगी ...
कोई बेटी यू कुर्बान ..!
सुन दीदी की बात  आसिफा...
की आंखे भर आयी ..
बोली दीदी क्या बोलू ...?
फिर तुम्हारी कहानी याद आयी ..!
ना जाने कितने दरिंदे थे ....
याद करके भी सहर जाती हु ....
चोट पहुची है इतनी मन को ...
अब खुद से भी डर जाती हु...!
माँ की गोदी में खेली मैं ....
जन्नत में मेरा जन्म हुआ ...
पर समझा ना पाऊँगी दीदी में ....
जो मेरे साथ कुकर्म हुआ ...!
बोली निर्भया चुप हो गुड़िया ....
तेरे जख्म ना मैं देख पाऊँगी ....
जो तूने सहा वो मेने सहा ....
मरहम भी ना दे पाऊँगी ...!
था सुकून अब तक मुझको ....
जब मेरे कातिलों को सज़ा मिली ....
पर देख दुबारा तेरी दशा ....
तेरी दीदी अंदर तक  है हिली ..!
फिर एक बार उन ज़ख्मो का ....
दर्द मेने महसूस किया ..
मेरी आसिफा अफसोस ना कर ...!
हिंदुस्तान में जन्म लेने की
यही है सज़ा ....!!!!
 😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔

तु है, तो दुनिया मेरी


तु है, तो दुनिया मेरी
तु नहीं, तो कुछ भी नहीं
तुझसे होते मेरे दिन हैं
तुझसे ही होती रात हैं
तु सोये, तो सोती हूँ मैं
तु जागे, तो जागती हूँ मैं
तुम समझो या ना समझो
तुम हो, तो मैं हुँ
हैं अलग-अलग रास्ते हमारे
पर मंजिल तो एक ही है.....
LOVE U RM
Written by- Radha

*यादे कल की , बीते पल की*



पुरानी चादर से छत के कोने पर ही टेंट बना लेते थे ,
क्या ज़माना था जब ऊंगली से लकीर खींच बंटवारा हो जाता था,
लोटा पानी खेल कर ही घर परिवार की परिभाषा सीख लेते थे। 
मामा , मासी , बुआ, चाचा के बच्चे सब सगे भाई लगते थे, 

कज़िन क्या बला होती है कुछ पता नही था।
घर छोटा ही सही पर प्यार से गुजारा हो जाता था.

गर्मी की छुट्टी में कही कोई *समर कैंप* नहीं होते थे,
कंचे, गोटियों, इमली के चियो से खजाने भरे जाते थे,
कान की गर्मी से वज़ीर , चोर पकड़ लाते थे,
सांप सीढ़ी गिरना और संभलना सिखलाता था,
कैरम घर की रानी की अहमियत बतलाता था,
घर छोटा ही सही पर प्यार से गुजारा हो जाता था.


पुरानी पोलिश की डिब्बी तराजू बन जाती थी ,
नीम की निंबोली आम बनकर बिकती थी ,
बिना किसी ज़द्दोज़हद के नाप तोल सीख लेते थे ,
साथ साथ छोटों को भी हिसाब -किताब सिखा देते  थे ,

माचिस की डिब्बी से सोफा सेट बनाया जाता था ,
पुराने बल्ब में मनीप्लान्ट भी सजाया जाता था ,
घर छोटा ही सही पर प्यार से गुजारा हो जाता था.


कापी के खाली पन्नों से रफ बुक बनाई जाती थी,
बची हुई कतरन से गुडिया सजाई जाती थी ,
रात में दादी-नानी से भूत की कहानी सुनते थे ,फिर
डर भगाने के लिये हनुमान चालीसा पढते थे,

स्लो मोशन सीन करने  की कोशिश करते थे ,
सरकस के जोकर की भी  नकल उतारते थे ,
सीक्रेट कोड ताली और सीटी से बनाया जाता था ,
घर छोटा ही सही पर प्यार से गुजारा हो जाता था.


कोयल की आवाज निकाल कर उसे चिढ़ाते थे,
घोंसले में अंडे देखने पेड पर चढ जाते थे ,
गरमी की छुट्टी में हम बड़ा मजा करते थे ,
बिना होलिडे होमवर्क के भी काफी कुछ सीख लेते थे ,
शाम को साथ बैठ कर *हमलोग* देखा जाता था ,
घर छोटा ही सही पर प्यार से गुजारा हो जाता था......


जैसा भी था मेरा - तेरा बचपन बहुत हसीन था।

Wednesday, April 11, 2018

जिंदगी की कड़वी सच्चाई

किसी के सोंच पर कोई रोक नही हैं....आज मैं दो- तीन दिनो से यही सोच रही हूं की आखिर क्यों एक मां को बाल-बच्चे अकेला छोड़ जाते हैं...बस चंद दिनो से आई एक लड़की के कारण...
आखिर क्यों...लोग कहते हैं की सास हमेशा से बहुओं पर हावी रही है...उनको प्रताड़ित करती आई हैं...पर क्या ये लगता है की ऐसा होता होगा...? कभी ताली एक हाथ से बजी है...? हो सकता है गलती बहुओं की भी हो ...
क्योंकि लड़को की भी तो ससुराल होती है...उनपर यातनाएं तो नहीं होती ...उनके बारे में तो आज तक किसी ने नहीं सुना की एक सास ने अपने दामाद को मारा...पीटा...जिंदा जलाया...इत्यादि
तो लड़कियों के साथ ही ऐसा क्यों होता है...?
रोज-रोज सोशल मीडिया पर भी इस टाईप की खबरों से मैं रू-ब-रू होती हूँ...ऐसा मैं अपने आस-पास देख रहे महौल के कारण बोल रही हूँ....
जैसा मुझे लगता है...ये सारा मामला एक घर का है ...और उन से जुड़े भावनाओं का है...
जब एक लड़की अपने ससुराल जाती है तो उसके लिए वो महौल नया होता है..पर उसकी आदतें तो पहले से बनी होती हैं ...और आदतें जल्द नहीं बदलतीं... और वो लड़की उन्हीं आदतों के साथ आगे बढ़ना शुरू करती है...पर उस घर के मालिक (सास-ससुर) को अच्छा नहीं लगता उसकी आदते ...(ऐसा लगना वाजि़ब है.........)
तब से ही ये नौबत शुरू हो जाती है...
जैसे आपने एक घर बनाने में पुरी जिंदगी लगाया हो... और कोई आकर आपके घर तोड़ दे... तब आपको कैसा लगेगा...महसूस कीजिए
अगर आपके रूम में आकर कोई भी व्यक्ति आपके सामान को बिना आपके मर्जी के इधर-उधर करे तो कैसा लगेगा... महसूस कीजिए
वैसे ही... वो मां पर क्या गुजरती होगी जिसने अपने घर और अपने बच्चे को अपना पुरा जीवन दे दिया हो...और कोई लड़की आकर उसके घर-संसार को बीगाड़ने की कोशिश करें...
मेरा हर महिलाओं से सवाल है............
मैं भी एक बहु हूं...मैं भी किसी घर से आई थी...मेरे लिए भी मेरा ससुराल नया था...मैं भी अपने आदतों को बदला है, न की अड़ी रही अपने पुराने आदतों के साथ...
हां वक्त लगता है बदलने में ...उस लड़की को वक्त देना चाहिए और उस लड़की को भी अपने आप को बदलना चाहिए...न की अपनी-अपनी आदतों को जबरदस्ती अपने परिवार पर थोपना चाहिए...
और हां एक बात, कभी भी परिवार में दरार नहीं डालना चाहिए...एक मां को अपने बच्चे से अलग नहीं करना चाहिए...
सास पहले तो मां होती है...बाद में वो सास बनती हैं...वो अपने बच्चों से प्यार की भुखी होती है..क्योंकि उसने अपने बच्चों को प्यार से ही सिंचा होता है..
जिंदगी बहुत छोटी है..प्यार से जीना चाहिए...
शादी का ये मतलब नहीं की पति सिर्फ मेरा है....पति से जुड़े लोगों से कोई मतलब नहीं...( ऐसी सोंच परिवार को खत्म कर देता है )
Be positive Think positive
----राधा रानी.....

Monday, April 9, 2018

बस अब नहीं...

मैं झुकती
अगर मुझे प्यार मिलता
मैं झुकती अगर 
मुझे आदर मिलता
मैं झुकती 
अगर मुझे मान-सम्मान मिलता
मैं झुकती 
अगर सबका साथ मिलता
मैं तब भी झुकती
अगर मेरे झुकने से सब ठीक होता
ऐसा नहीं की 
झुकी नहीं मैं
हर सम्भव कोशिश की
मगर कब तक
हर बार मेरा थोड़ा झुकना 
मेरी कमजोड़ी समझा
मेरे सब्र का इंतहान लिया ..............
हो गया, जो अब तक जो होना था
बस अब नहीं...

नारी तुम झुको मगर सिर्फ प्यार और अच्छे रिश्तों के लिए..
जो रिश्ते ढ़ोंग हो उनके सामने झुकना एक नारी को गवारा नहीं



Written by- Radha

अब भी दिल रो देता है

अब भी दिल रो देता है जब भी उन गलियों से गुजरती हूं तेरे होने का एहसास होता है अचानक से कदम खुद रुक जाते हैं और मैं वहीं एक टक तुम्हें वही ढु...