Monday, October 29, 2018

बचपन की दिवाली

बचपन की दिवाली में भी खुशियां थी
और आज भी खुशियां ही खुशियां है।

फर्क बस इतना है दोस्तों
पहले दीपावली थी
आज बलवावली है।

पहले दिवाली गरीबों और अमीरों की थी
पर आज सिर्फ अमीरों की है।

पहले दिवाली से प्रदुषण कंट्रोल होता था
पर आज प्रदुषण ही प्रदुषण होता है।

बचपन की दिवाली में मां 
अनेकों पकवान बनातीं थी
पर आज एक भी बन जाए बहुत है।

बचपन की दिवाली में प्यार था
स्नेह था, ममता थी, अपनापन था
पर आज हर तरफ 
नफ़रत है, लुट है, धोखा है।

फिर भी दिवाली मनानी है
तो मनाओ दिवाली
जलाओ दिवाली।

Happy Dipawali
Radha Rani

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