बचपन की दिवाली में भी खुशियां थी
और आज भी खुशियां ही खुशियां है।
फर्क बस इतना है दोस्तों
पहले दीपावली थी
आज बलवावली है।
पहले दिवाली गरीबों और अमीरों की थी
पर आज सिर्फ अमीरों की है।
पहले दिवाली से प्रदुषण कंट्रोल होता था
पर आज प्रदुषण ही प्रदुषण होता है।
बचपन की दिवाली में मां
अनेकों पकवान बनातीं थी
पर आज एक भी बन जाए बहुत है।
बचपन की दिवाली में प्यार था
स्नेह था, ममता थी, अपनापन था
पर आज हर तरफ
नफ़रत है, लुट है, धोखा है।
फिर भी दिवाली मनानी है
तो मनाओ दिवाली
जलाओ दिवाली।
Happy Dipawali
Radha Rani
No comments:
Post a Comment