फिर शाम होने को है
फिर शाम होने को है
दिल पर तेरी दस्तक होने को है
फिर शाम होने को है
हवाओं में गीतों की
महफ़िल सजने को है
फिर शाम होने को है
तेरी खुशबू से
मन मेरा बहकने को है
अब फिर शाम होने को है
तेरी आने की आहट से
मन में मधुर संगीत बजने को है
फिर शाम होने को है
तुझसे दीदार-ए-अरमा
मुकम्मल होने को है
फिर शाम होने को है
तेरी खुशबू से मन बहकने को है
अब फिर शाम होने को है।।
Written by Radha Rani

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