उलझे सुलझे रिश्ते सुलझाउं कैसे
इस बेदर्द दिल को मनाऊं कैसे
कई उलझे रिश्ते हैं दरमियान हमारे
जो कभी ना सुलझेंगे, मन कहता है
ये रिश्ते भी अजीब होते हैं
न चाह कर भी रिश्ते होते हैं
कभी रिश्ते हंसा जाते हैं
कभी रिश्ते रुला जाते हैं
कभी ऐसा जख्म दे जाते हैं
जो नासुर बन हमें तड़पाते हैं
ये रिश्ते सच में अजीब होते हैं
उलझे सुलझे रिश्ते गरीब होते हैं
क्या रिश्ते ऐसे ही होते हैं?
- राधा रानी -
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