जिंदगी में अगर रिवाइंड बटन होता
कर लेती जिंदगी रिवाइंड
भुला देती उन चार सालों को
जिसने दिए मुझे मानसिक जख्म हजार
खो जाती उन लम्हों में
जिन लम्हों में मेरा बचपन था
जहां मां का डांट था
तो पिता की फटकार भी
कर लेती कैद खुद को वहीं
जहां भाई का झगड़ा था
तो बहन का प्यार भी
रोक लेती उन पलों को
जिनमें घर से जुदाई था
लौट जाती वहीं पर
जहां मां की ख्वाहिश थी
जिंदगी में अगर रिवाइंड बटन होता
कर लेती जिंदगी रिवाइंड
सोंचती हूँ क्यों जिंदगी ऐसे सताती है
पल में हंसाती है तो पल में रुलाती है
जिंदगी के भागमभाग में
फंस सी गई हूँ मैं
चारो तरफ अंधेरा है
उजाले का नामोनिशान नहीं
अगर जिंदगी में रिवाइंड बटन होता
तो कर लेती जिंदगी रिवाइंड।।
RADHA

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