Thursday, July 26, 2018

इमारत ढह रही है

बचालो अपने आशियाने को
इमारत ढह रही है
क्या बचा पाओगे
अपने बुढ़े इमारत को
जो कभी भी तुम्हारा साथ छोड़ देगी
तुम जीवन भर एक गलती दोहराते आए
अपने सिर के छत की कदर नहीं की
तुमने उसे अपने हाल पर छोड़ दिया
बहुत सारी यातनाओं के साथ
तपने के लिए
मौसम का तंश झेलने के लिए
तुम्हें तनिक भी तरस नहीं आया
तुम्हें उसकी कुर्बानी कभी याद नहीं आई
कभी तो याद कर लेते
उस इमारत की एक एक ईंट तुम्हारे लिए थी
पर तुमने क्या दिया
अकेले छोड़ दिया
अब इमारत ढह रही है
हर ईंट कमजोर हो चुकी है 
थोड़ी देर के लिए अपना समय निकालो
उसे प्यार दो
ताकि ढहने से पहले उसे 
तुम्हारे उसके अपने होने का एहसास हो जाए
क्योंकि इमारत ढह रही है।।

राधा 

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