Saturday, July 28, 2018
Thursday, July 26, 2018
इमारत ढह रही है
बचालो अपने आशियाने को
इमारत ढह रही है
क्या बचा पाओगे
अपने बुढ़े इमारत को
जो कभी भी तुम्हारा साथ छोड़ देगी
तुम जीवन भर एक गलती दोहराते आए
अपने सिर के छत की कदर नहीं की
तुमने उसे अपने हाल पर छोड़ दिया
बहुत सारी यातनाओं के साथ
तपने के लिए
मौसम का तंश झेलने के लिए
तुम्हें तनिक भी तरस नहीं आया
तुम्हें उसकी कुर्बानी कभी याद नहीं आई
कभी तो याद कर लेते
उस इमारत की एक एक ईंट तुम्हारे लिए थी
पर तुमने क्या दिया
अकेले छोड़ दिया
अब इमारत ढह रही है
हर ईंट कमजोर हो चुकी है
थोड़ी देर के लिए अपना समय निकालो
उसे प्यार दो
ताकि ढहने से पहले उसे
तुम्हारे उसके अपने होने का एहसास हो जाए
क्योंकि इमारत ढह रही है।।
राधा
Wednesday, July 18, 2018
कर लेती जिंदगी रिवाइंड
जिंदगी में अगर रिवाइंड बटन होता
कर लेती जिंदगी रिवाइंड
भुला देती उन चार सालों को
जिसने दिए मुझे मानसिक जख्म हजार
खो जाती उन लम्हों में
जिन लम्हों में मेरा बचपन था
जहां मां का डांट था
तो पिता की फटकार भी
कर लेती कैद खुद को वहीं
जहां भाई का झगड़ा था
तो बहन का प्यार भी
रोक लेती उन पलों को
जिनमें घर से जुदाई था
लौट जाती वहीं पर
जहां मां की ख्वाहिश थी
जिंदगी में अगर रिवाइंड बटन होता
कर लेती जिंदगी रिवाइंड
सोंचती हूँ क्यों जिंदगी ऐसे सताती है
पल में हंसाती है तो पल में रुलाती है
जिंदगी के भागमभाग में
फंस सी गई हूँ मैं
चारो तरफ अंधेरा है
उजाले का नामोनिशान नहीं
अगर जिंदगी में रिवाइंड बटन होता
तो कर लेती जिंदगी रिवाइंड।।
RADHA
Tuesday, July 17, 2018
वादा कौन निभाता है
वादा कौन निभाता है
जो वादे करता है
और मैंने किये थे तुमसे कई वादें
आज निभा नहीं पा रही हूं
तुम्हारे साथ कदमताल कर चलने का वादा
क्या निभा पाई हूं
तुमसे टूट कर प्यार करने का वादा
वो भी तो न हुआ मुझसे
बेशक मैंने कई वादें किये हैं तुमसे
क्या हक था, मुझे वादें करने का
नहीं ना
वादें तुमने भी मुझसे किये थे कई
तुमने भी तो नहीं दिया साथ मेरा
आज सिर्फ वादे किए जाते हैं
लोगों को निभाना नहीं आता है।।
Written by Radha Rani
Monday, July 16, 2018
वादा कौन निभाता है
वादा कौन निभाता है
जो वादे करता है
और मैंने किये थे तुमसे कई वादें
आज निभा नहीं पा रही हूं
तुम्हारे साथ कदमताल कर चलने का वादा
क्या निभा पाई हूं
तुमसे टूट कर प्यार करने का वादा
वो भी तो न हुआ मुझसे
बेशक मैंने कई वादें किये हैं तुमसे
क्या हक था मुझे वादें करने का
नहीं ना
वादें तुमने भी मुझसे किये थे कई
तुमने भी तो नहीं दिया साथ मेरा
आज सिर्फ वादे किए जाते हैं
लोगों को निभाना नहीं आता है।।
Written by Radha Rani
और मैंने किये थे तुमसे कई वादें
आज निभा नहीं पा रही हूं
तुम्हारे साथ कदमताल कर चलने का वादा
क्या निभा पाई हूं
तुमसे टूट कर प्यार करने का वादा
वो भी तो न हुआ मुझसे
बेशक मैंने कई वादें किये हैं तुमसे
क्या हक था मुझे वादें करने का
नहीं ना
वादें तुमने भी मुझसे किये थे कई
तुमने भी तो नहीं दिया साथ मेरा
आज सिर्फ वादे किए जाते हैं
लोगों को निभाना नहीं आता है।।
Written by Radha Rani
Saturday, July 14, 2018
ये ओ आज धूप निकली है
अंधेरे को त्याग
उठ खड़ा हो
देख तो बाहर
धूप निकली है
झिझक मत, खुद को सम्भाल
कब तक अंधेरे को साथी समझोगा
अंधेरा गुमनामी देगा
अपनों से दूर करेगा
तुमको तुमसे दूर करेगा
तुम्हारे सपनों को चुर करेगा
तो उठ खड़ा हो
देख तो बाहर
धूप निकली है
ये उजाला तुमको हिम्मत देगा
नई उर्जा का तुममें संचार करेगा
ये जो आज धूप निकली है।।
Written by Radha Rani
Thursday, July 12, 2018
क्या खोया क्या पाया
जीवन के इस सफर में
क्या खोया क्या पाया हमने
कभी ग़मो का प्याला मिला
कभी रुसवाईयों की थाली
कभी उलझनों का दौड़ रहा
कभी विरानियां ही विरानियां
जीवन के इस सफर में
सिर्फ खोया ही खोया हमने
जिंदगी के आपाधापी में
थक गई हूं मैं
गुनहगार सी लगती हूं
खुद को जब देखती हूं आईने में
सोचती हूं, क्यों नहीं कुछ किया हासिल
हमेशा रही तनहाईयों में।।
Written by Radha Rani
Tuesday, July 10, 2018
बातें करते रहिए
कुछ इधर की, कुछ उधर की
कुछ खट्टा, कुछ मिटा
बातें करते रहिए
लोगों को हंसाके
खुद रो लिजिए
पर बातें करते रहिए
बातों में दम रखिए
बातों में सच्चाई रखिए
पर बातें करते रहिए
बातों को झुठ परोसिए
या सच परोसिए
पर बातें करते रहिए।।
Written by Radha Rani
कुछ खट्टा, कुछ मिटा
बातें करते रहिए
लोगों को हंसाके
खुद रो लिजिए
पर बातें करते रहिए
बातों में दम रखिए
बातों में सच्चाई रखिए
पर बातें करते रहिए
बातों को झुठ परोसिए
या सच परोसिए
पर बातें करते रहिए।।
Written by Radha Rani
Monday, July 9, 2018
शाम होने को है
फिर शाम होने को है
फिर शाम होने को है
दिल पर तेरी दस्तक होने को है
फिर शाम होने को है
हवाओं में गीतों की
महफ़िल सजने को है
फिर शाम होने को है
तेरी खुशबू से
मन मेरा बहकने को है
अब फिर शाम होने को है
तेरी आने की आहट से
मन में मधुर संगीत बजने को है
फिर शाम होने को है
तुझसे दीदार-ए-अरमा
मुकम्मल होने को है
फिर शाम होने को है
तेरी खुशबू से मन बहकने को है
अब फिर शाम होने को है।।
Written by Radha Rani
Sunday, July 8, 2018
मुझे क्या पता था
मुझे क्या पता था
जिंदगी जल्द रंग लाएगी
रंग भी लाएगी
और बदरंग भी हो जाएगी।
मुझे क्या पता था
जिनसे दोस्ती चाहुंगी
वो नफरत थमा जाएंगे
मुझे क्या पता था
जो अपने कहलाएंगे
वो अब गैरों सा नज़र आएंगे।
मुझे क्या पता था
जिन्हें दिल का नजराना दुंगी
वो बदले में कफ़न भेंट कर जाएंगे
मुझे क्या पता था ऐ जिन्दगी
तुम इतना तड़पाओगे
जान तो निकालोगे
पर उफ़ तक ना कर पाऊंगी।।
Written by Radha Rani
मैं कहीं नहीं
एक सवाल है
दे सकते हो जवाब?
पहचान तुम्हारी भी है
पहचान हमारी भी है
फिर ये भेदभाव कैसा
क्यों तुम पहले हो?
और मैं बाद में
दे सकते हो जवाब?
क्यों तुम ही तुम होते हो
और मैं कहीं नहीं?
Written by Radha Rani
दे सकते हो जवाब?
पहचान तुम्हारी भी है
पहचान हमारी भी है
फिर ये भेदभाव कैसा
क्यों तुम पहले हो?
और मैं बाद में
दे सकते हो जवाब?
क्यों तुम ही तुम होते हो
और मैं कहीं नहीं?
Written by Radha Rani
Saturday, July 7, 2018
एक सवाल है ...!
एक सवाल है
मेरा उन हरामखोरों से
जो बिना मेहनत के
अमीर बनने का ख्वाब देखते हैं।
एक सवाल है
मेरा उन हैवानों से
जो अपनी मां, बहन, बेटियों को छोड़
दुसरे के मां, बहन, बेटियों पर नजर डालते हैं।
एक सवाल है
मेरा उन अमीरों से
जो गरीबों को
अपने पैरों की जुती समझते हैं।
एक सवाल है
मेरा उन ससुराल वालों से
जो बहुओं को खरीदी गई
कठपुतली समझते हैं।
एक सवाल है
मेरा उन माता-पिता से
जो बिना देखे
अपने जिगर का टुकड़ा
हैवानों के हाथ सोंप देते हैं।
एक सवाल है सरकार से
कब अपराध खत्म होगा?
कब किसानों को सही दाम मिलेगा?
कब सड़कें बरसात में बिगड़ेगी नहीं?
आखिर कब, एक सवाल है।।
Written by Radha Rani
Friday, July 6, 2018
यहां हम सब अकेले हैं
यहां हम सब अकेले हैं
हमारा जो भी है, वो भ्रम है
मोह है, माया है
इस प्यारी वसुंधरा पर
हम अकेले आए थे, अकेले ही जाएंगे
जोभी लेंगे यहीं का लेंगे
जोभी देंगे यहीं का देंगे
खाली हाथ आए थे
खाली हाथ जाएंगे
तुम मत सोचो, तुम्हारे हिस्से क्या है
तुम सोचो तुम्हारे बाद
जो भी है, तुम्हारे अपनों का है
फिर भी चाहत मत रखना
तुम, तुम्हारे अपनों का
क्योंकि, यहां हम सब अकेले हैं।।
Written by Radha Rani
Wednesday, July 4, 2018
उलझे सुलझे रिश्ते
उलझे सुलझे रिश्ते सुलझाउं कैसे
इस बेदर्द दिल को मनाऊं कैसे
कई उलझे रिश्ते हैं दरमियान हमारे
जो कभी ना सुलझेंगे, मन कहता है
ये रिश्ते भी अजीब होते हैं
न चाह कर भी रिश्ते होते हैं
कभी रिश्ते हंसा जाते हैं
कभी रिश्ते रुला जाते हैं
कभी ऐसा जख्म दे जाते हैं
जो नासुर बन हमें तड़पाते हैं
ये रिश्ते सच में अजीब होते हैं
उलझे सुलझे रिश्ते गरीब होते हैं
क्या रिश्ते ऐसे ही होते हैं?
- राधा रानी -
Monday, July 2, 2018
ख्वाब देखते जाओ
ऐ मेरे मन
तु भाग, दौर,
पाने की कोशिश कर
इच्छा रख
पर तुम ख्वाब देखते जाओ
हर ख्वाब तुझे कुछ सिखायेगा
तुझे भुलाएगा
तुझे रूलाएग
तुझे जीने का ढंग बताएगा
पर तुम ख्वाब देखते जाओ
ख्वाब तो जिंदगी का हिस्सा है
वो जिंदगी की तड़प है
ख्वाब पुरे न हो तो क्या
पर तुम ख्वाब देखते जाओ।
ख्वाब तो जिंदगी जीने की वजह है
ख्वाब धोखा है
ऐसा धोखा जिसे कोई देता नहीं
खुद पाया जाता है
पर तुम ख्वाब देखते जाओ।
Radha Rani
Radha Rani
Sunday, July 1, 2018
उसके बारे में
उसके बारे में क्या कहूं
वो हवा है
जो महसूस तो होगा
पर दिखाई नहीं देगा।
वो पानी है
जो अपना रास्ता खुद बनाते हैं।
वो मिट्टी है
जिसे जिस रूप में ढालो
वो उस रूप में ढ़ल जाए।
वो पत्थर है
उसपर किसी बात का
असर नहीं होता
वो चट्टान है
वो अडिग है
वो भ्रमित नहीं है
उसके बारे में क्या कहूं
वो तो अलग है
अनोखा है
बिल्कुल अलग।।
Written by Radha Rani
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