लोक आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व छठ आज सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही में संपन्न हो गया। चारदिवसीय इस अनुष्ठान के चौथे दिन अर्ध्य देने के बाद व्रतियों ने अन्न-जल ग्रहण कर ‘पारण’ किया।
छठ पर्व के चौथे और अंतिम दिन आज हज़ारों की संख्या में व्रतधारी और उनके साथ लाखों श्रद्धालु नदी, जलाशयों , पोखर , सरोवर , पार्कों में बने पोंड के किनारे पहुंचते हैं और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना करते हैं...महिलाओं और घर के पुरुष सिर पर बांस की टोकरी, सुप में फल, खजूर आदि लेकर छठ घाट पहुंचते हैं और सूर्य, छठ माता को प्रसाद चढ़ाते हैं और जल में उतरकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
इसके बाद व्रती अपने घर आकर जल-अन्न ग्रहण कर ‘पारण’ करती हैं और 36 घंटे का निर्जल उपवास समाप्त करती हैं। इसके साथ ही सूर्य देव की उपासना का पर्व छठ सम्पन्न हो जाता है।
बता दें चार दिन तक चलने वाले इस त्योहार में भगवान सूर्य की आराधना 24 अक्टूबर को नहाय खाय के साथ शुरू हुआ ये पर्व सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही समाप्त हो गया है।
इसपर्व में भगवान सूर्य की पूजा का काफी महत्व है। इस दौरान छठ मइया के भजनो और लोक गीतों की बयार बहती है जिससे सारा वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
.... राधा रानी....
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