ओ री सखी
मेरी प्यारी सखी
तु कितनी सच्ची है...
मेरे जीने का आधार है
तु है , तो मैं हूं
तुझ बिन मेरा कौन यहां
सुनता कोई बात है...
तु मेरी आवाज़ है
तु जीने का सार है
तु हर ग़म की साथी
तु हर खुशी की साज़ है...
मेरी हर एक-एक आंसुओं का
तु ही लब्जेबयां है
तु हर जगह है...
तु हर वक्त है...
तु ही इतिहास है...
तु ही आज है...
मैं खुश हूं तो तु है
मैं रोऊं तो तु है
मैं उदास हूं तो तु है
मैं शांत हूं तो तु है...
जीने के हर एक छन में
तु मेरे साथ है
ओ री सखी
मेरी प्यारी सखी
तु कितनी अच्छी है ।।
रचना- राधा रानी
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