Tuesday, October 17, 2017

मैं उड़ना चाहती हुं ...



मैं उड़ना चाहती हुं
दुर कहीं जाना चाहती हुं...
मुक्त गगन में
अकेले....
बिना किसी सहारे
अपनी मंजिल को पाना चाहती हुं
मत रोको मुझे
उड़ने दो...
मुझे अपने पंख फैलाने दो
पिंजरा नहीं...
मुझे खुला आकाश चाहिए.
जीने के लिए जमीं का साथ चाहिए
मेरे पंख मत कतरो
मुझे भी आजाद होने का हक है
हक है बेफिक्र उड़ने का
खुली हवा में सांस लेने का
मैं उड़ना चाहती हुं
मुझे उड़ने दो
मुक्त गगन में ।।

Written by Radha

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