छठ पर्व का आज दुसरा दिन था...पहला नहाय-खाय और दुसरा खरना...आज दिन भर के भागम-भाग के बाद शाम को खरना बनाया जाता है....
हमारी मां ने भी खरना बना कर, छठ माई की अराधना की।
आज के दिन व्रती दिन भर उपवास करके, शाम होने से पहले, गंगा में स्नान कर के खरना बनातीं हैं...खरना में व्रती गुड़ की खीर और छोटी-छोटी रोटी बनातीं हैं...और साथ में चावल का पीठा भी बनातीं हैं। ये प्रसाद अंदर का होता है...बाहर हम भी चीनी वाली खीर और रोटी बनाते हैं।
ये सब बन जाने के बाद मां (व्रती) छठ माई की पुजा कर के थोड़ा सा प्रसाद ग्रहण करतीं हैं... फिर हम छठ माई को प्रणाम कर के मां को प्रणाम करते हैं...और प्रसाद खाते हैं।
इस तरह खरना बना कर के खरना पुजा जाता है...।
पुरा दिन व्यस्थता से भरा था.... लोगों का आना-जाना लगा रहा...
कुल मिलाकर आज का दिन भी उमंग से भरा हुआ था....
क्योंकि आज हमने अपने दुर के प्रियजनों से मुलाकात की.... जिनसे सालों मिले हो जाते हैं...
..... राधा रानी...
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