घंटो जद्दोजहद
फिर एक गहरा सन्नाटा
घडी की सुई की आवाज
और मेरी दिल की आवाज
दोनों मेरे कानो में गूंजने लगी
अचानक.........
मेरे दिल ने कहा
क्या हुआ
कुछ भी तो नया नहीं ..
वही तो हुआ है
जो सालों से होता आ रहा है
मेरी सुन........
जा, जी अपनी जिंदगी....
छोड़ दुनिया की फ़िक्र
पर दिमाग ने कहा
क्या कर रही हो....
सिर्फ अपनी सोच रही हो.....
तुम ऐसी नहीं हो....
खुद को पहचानो ....
अचानक से फिर एक गहरा सन्नाटा
दिल और दिमाग की कशमकश में
जीत दिमाग की हुई
और रोज की भांति
वही सुबह...वही जिंदगी
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