Monday, September 24, 2018

तेरी तारीफ में मैं क्या लिखूं जिंदगी

तेरी तारीफ में 
मैं क्या लिखूं जिंदगी
शब्द कम पड़ जाते हैं
जब तेरी तारीफ करती हूं
जिंदगी बीत रही है 
तुम्हारी तारीफ के पुल बनाते हुए
पर ना मैं थकी ना ही मेरी कलम 
तुम भरसक मेरी निंदा करते रहे
औरों से तुलना और 
खुद से दूर करते रहे
पर मैं तुम्हारे ही गुण गाती रही
तुमने कभी मुझे चैन की सांस नहीं दी
पर मैंने तुम्हें चैन से जीया है
तेरी तारीफ में 
मैं क्या लिखूं जिंदगी
शब्द कम पड़ जाते हैं
जब तेरी तारीफ करती हूं

राधा रानी

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