तेरी तारीफ में
मैं क्या लिखूं जिंदगी
शब्द कम पड़ जाते हैं
जब तेरी तारीफ करती हूं
जिंदगी बीत रही है
तुम्हारी तारीफ के पुल बनाते हुए
पर ना मैं थकी ना ही मेरी कलम
तुम भरसक मेरी निंदा करते रहे
औरों से तुलना और
खुद से दूर करते रहे
पर मैं तुम्हारे ही गुण गाती रही
तुमने कभी मुझे चैन की सांस नहीं दी
पर मैंने तुम्हें चैन से जीया है
तेरी तारीफ में
मैं क्या लिखूं जिंदगी
शब्द कम पड़ जाते हैं
जब तेरी तारीफ करती हूं
राधा रानी
No comments:
Post a Comment