आसमाँ में बैठी निर्भया ....
पूछ रही बस यही सवाल ....
प्यारी आसिफा तुम बतलाओ
कितना बदला हिंदुस्तान ....!
मेरे पर जो जुल्म हुआ तो ....
सड़कों पर था हिंदुस्तान ....
कहते थे सब अब ना होगी ...
कोई बेटी यू कुर्बान ..!
सुन दीदी की बात आसिफा...
की आंखे भर आयी ..
बोली दीदी क्या बोलू ...?
फिर तुम्हारी कहानी याद आयी ..!
ना जाने कितने दरिंदे थे ....
याद करके भी सहर जाती हु ....
चोट पहुची है इतनी मन को ...
अब खुद से भी डर जाती हु...!
माँ की गोदी में खेली मैं ....
जन्नत में मेरा जन्म हुआ ...
पर समझा ना पाऊँगी दीदी में ....
जो मेरे साथ कुकर्म हुआ ...!
बोली निर्भया चुप हो गुड़िया ....
तेरे जख्म ना मैं देख पाऊँगी ....
जो तूने सहा वो मेने सहा ....
मरहम भी ना दे पाऊँगी ...!
था सुकून अब तक मुझको ....
जब मेरे कातिलों को सज़ा मिली ....
पर देख दुबारा तेरी दशा ....
तेरी दीदी अंदर तक है हिली ..!
फिर एक बार उन ज़ख्मो का ....
दर्द मेने महसूस किया ..
मेरी आसिफा अफसोस ना कर ...!
हिंदुस्तान में जन्म लेने की
यही है सज़ा ....!!!!
😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔
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