Monday, April 9, 2018

बस अब नहीं...

मैं झुकती
अगर मुझे प्यार मिलता
मैं झुकती अगर 
मुझे आदर मिलता
मैं झुकती 
अगर मुझे मान-सम्मान मिलता
मैं झुकती 
अगर सबका साथ मिलता
मैं तब भी झुकती
अगर मेरे झुकने से सब ठीक होता
ऐसा नहीं की 
झुकी नहीं मैं
हर सम्भव कोशिश की
मगर कब तक
हर बार मेरा थोड़ा झुकना 
मेरी कमजोड़ी समझा
मेरे सब्र का इंतहान लिया ..............
हो गया, जो अब तक जो होना था
बस अब नहीं...

नारी तुम झुको मगर सिर्फ प्यार और अच्छे रिश्तों के लिए..
जो रिश्ते ढ़ोंग हो उनके सामने झुकना एक नारी को गवारा नहीं



Written by- Radha

No comments:

Post a Comment

अब भी दिल रो देता है

अब भी दिल रो देता है जब भी उन गलियों से गुजरती हूं तेरे होने का एहसास होता है अचानक से कदम खुद रुक जाते हैं और मैं वहीं एक टक तुम्हें वही ढु...