Wednesday, August 7, 2013

Mujhe accha lagta hai....

Mujhe accha sa lagta hai
Tumhi ko dekhtey rehna

Tumhi ko chahtey rehna
Tumhi ko sochtey rehna

Tumhi ko suntey rehna
Bahot gehre khyaalon me

Jawabo me.. sawaalo me
Mohabbat ke hawaalo me

Tumhara naam aa jaana
Mujhe accha sa lagta hai

Tumhare sang sang chalna
Wafa ke aag me jalna

Tumhe naraz kar dena
Kabhi khud bhi ruth jaana

Tumhari berukhi par bhi
Tumhari aarzoo karna

Khud apne dil ke dharkan se
Tumhari guftugu karna

Mujhe accha sa lagta hai...!!!



Written by: Radha Rani

Friday, August 2, 2013

तुम्हारा साथ.......................


क्यों आखिर क्यों…
क्यों हर बार ऐसा करते हो तुम…
क्यों हर बार परेशान करते हो तुम…
हर बार हमारा दिल तोड़ देते हो तुम…
क्यों आखिर क्यों…
आखिर मैं भी तो इंसान हुं…
मेरे अंदर भी एक दिल है…
जो तुम्हारे लिए धड़कता है…
जो तुम्हें चाहता है…
जो तुम्हें हर पल पाने की आरजु रखता है…
पर..तुम्हें मेरी कहां….
सिर्फ अपनी पड़ी है…
क्यों आखिर ऐसा क्यों…
आखिर ऐसा कैसे कर पाते हो तुम…
कैसे हां कैसे…
मुझे बीच मझधार में छोड़कर…
हमेशा चले जाते हो….
मैं कहुं कुछ तो सही नहीं….
तुम कहो तो सही…
क्यों आखिर क्यों…
मैंने तुमसे क्या मांगा…
सिर्फ तुम्हारा साथ…
तुमसे वो भी ना हो सका…
मैने तुम्हारा हर तरह से साथ दिया…
तुम्हारे सुख में..
दुख में…
पर तुमने क्या दिया…
मैं इसे क्या समझुं…
तुम्हारा प्यार…
या कुछ और..
क्यों आखिर क्यों…

Written by: Radha Rani

Wednesday, July 31, 2013

दर्द...........


दर्द होता है…
बहुत होता है…
पर..बयां नहीं कर पाते…
कैसे करें बयां…
हम समझ ही नहीं पाते…
लोग कहते हैं…
हम वफा नहीं करते…
मगर दोस्तों….
हम वफा तो करते हैं…
पर उन्हें..बेवफाई लगती है…
आखिर केयों नहीं बदलती…
तकदीर "इश्क" की….
क्या वो हमें नहीं चाहते…
या मेरी ही चाहत में कुछ कमी थी…
दर्द होता है…
हां.. बहुत होता है…
पर..बयां नहीं कर पाते…



Written by: Radha Rani

Tuesday, July 30, 2013

उफ! ये चाहत….


चाहत… चाहत… चाहत
उफ! ये चाहत….
हर रोज एक चाहत…
हर वक्त एक नई चाहत…
हर घड़ी एक अलग चाहत…
उफ! ये चाहत….
दिल चाहत के पीछे…
भागता चला जाता है…
और कभी पुरा भी करता है…
फीर भी…..
कभी खत्म नहीं होती है..ये चाहत…
आखिर ये है कौन सी बला…
जो दिल पागल हो जाता है…
उसे पाने को…
उसे अपना बनाने को…
हर किसी को पागल बनाती है ये चाहत…
किसी को काम की चाहत…
किसी को ऐशो-आराम की चाहत…
किसी को पैसों की चाहत….
तो किसी को…
एक सच्चे हमसफ़र की चाहत…
शायद मेरी भी चाहत...
इनमे से एक है…
अगर ये चाहत पुरी हो जाए…
तो दिन-रात की जद्दो-जहद की खत्म हो जाए…
पर ये चाहत…
कभी खत्म ही नहीं होती…
फीर दिल सोचता है…
आखिर कैसे पुरी होगी ये चाहत…
चाहत… चाहत… चाहत
उफ! ये चाहत….

Written by: Radha Rani

Monday, July 29, 2013

Raat-Din

Es raat- din ke chakkar me...
ensaan ek machine ban ke rah gaya hai...
roj wahi subah...
wahi din.. wahi raat.......
lo fir aaj raat aa gai...
ab chain ki nind aayegi...
par ye chain sirf kuch ghanto ke liye...
fir subah hogi....
fir wahi kaam fir wahi din...
fir raat hogi...
par chain sirf kuchh palon ka.
sirf kuchh palon ka....

Written by:-Radha Rani

Saturday, July 27, 2013

मुझे याद है वो दिन......................................


मुझे याद है वो दिन….
जब हम स्कूल में थे…
कितने सच्चे दोस्त थे हमारे…
आज एक भी नहीं
मुझे याद है…
सब साथ रहने का दावा करते थे…
आज साथ कोई नहीं….
मुझे याद है वो दिन….
जब हमारे पास वक्त ही वक्त था…
आज मिलने का वक्त नहीं….
आज किसे अपना कहें..किसे पराया…
किसे दुश्मन कहें…किसे हमदर्द..
समझ ही नहीं आता…
आज दोस्त…दोस्त ना रहा…
हमदर्द…. हमदर्द ना रहा..
आज अपने..अपने ना रहें…
तो दोस्तों से क्या उम्मीद..
आज सिर्फ वो यादें हैं मेरे पास…
सिर्फ वो यादें…
जो कभी हमारी थीं…
आज सिर्फ मेरी हैं……सिर्फ मेरी…..

Written By: Radha Rani

Thursday, July 18, 2013

क्या कहूं….कैसे कहूं


क्या कहूं….कैसे कहूं
कुछ कहने को रहा ही नहीं…..
रहेगा जब ना…जब मैं रहने दूं….
इंसान सोचता क्या है….
होता क्या है….
चाहत तो बहुत है…
पर वो पुरा कहां होता….
आप चाहते कुछ हो ….
होता कुछ है…
जिंदगी  का क्या….
कभी ढेरो खुशीयां मिलती हैं….
कभी विरानीयां छा जाती हैं…
कभी-कभी तो लगता है….
जिंदगी एक पहेली बनकर रह गई है….
मन कहता है…ज्यादा ना सोचुं….
फीर भी मन उस चाहत की ओर….
खींचा चला जाता है…..
अब कुछ नहीं समझ आता…
जानती हूंबीता हुआ पल लौटता नहीं….
फीर भी एक आस…अभी भी है बांकी…
सायद कुछ हो ऐसा…
सब बदल जाए…..
क्या कहूं….कैसे कहूं
कुछ कहने को रहा ही नहीं…..

Written By: Radha Rani

Friday, July 5, 2013

kyun…aakhir kyun…


Jaante ho donston….
kal Raat mai apne aap se...
ek sala puchhti rahi…
aakhir tune apne aap se...
aisa kyun kiya…
kyun tune apne aap ko…
dhokha diya…
kyun tune apne aap pe…
viswas kiya…
kyun…aakhir kyun…
mai kuch na bol saki…
bolne ko kuch tha hi nahi…
haan maine apne aap ko..
dhokha diya…
haan maine apne aap ko…
paresan kiya….
haan…haan..maine aisa kiya…
karti bhi to kya karti..
kuch samjh hi nahi aaya…
bas karti chali gai..
apne wade aur apne kasmo ko..
bhulati chali gai…
jo maine apne aap se kiya tha…
bas ek sawal aap se ….
aisa kya karun….
jo wapas wahi din aa jaaye
kya karun jo sab thik ho jaaye..
kya karun….aakhi kya karun?????

Written By: Radha Rani

Saturday, January 26, 2013

इन तस्वीरों को खींचते ही फोटोग्राफर की हुई रहस्यमई मौत!


ये तस्वीर दक्षिण सूडान में पड़े सूखे दौरान मार्च 1993 में केविन कार्टर नाम के फोटोग्राफर ने ली थी। तस्वीर में भूख से तड़पती बच्ची एक फूड सेल्टर पर जाने की कोशिश कर रही है, पर उसके रास्ते में खड़ी गिद्ध के कारण वहां नहीं जा पा रही। 
इस तस्वीर के लिए कार्टर को पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बच्ची की मदद करने के बजाय उसकी तस्वीर खीचने के लिए उन्होंने करीब 20 मिनट तक इस बात का इंतजार किया कि शायद यह गिद्ध बच्ची पर हमला करे। अगर ऐसा होगा तो उनकी तस्वीर और बढ़िया हो जाएगी।
उनकी इस अमानवियता के लिए दुनिया भर में काफी आलोचना हुई। लगातार हो रही आलोचना के चलते तस्वीर खीचने के तीन महीने के बाद ही कार्टर ने आत्महत्या कर ली।



अब भी दिल रो देता है

अब भी दिल रो देता है जब भी उन गलियों से गुजरती हूं तेरे होने का एहसास होता है अचानक से कदम खुद रुक जाते हैं और मैं वहीं एक टक तुम्हें वही ढु...