आँखों से बहकर बेकार जाते हैं
ऐ दोस्त मेरे आंसू भी हार जाते हैं
आँखों की पुतली से
पलकों तक आते हैं
पलकों के किनारे से
गालों तक आते हैं
जब आँखें मिल जाती हैं
बेशुमार आते है
ऐ दोस्त मेरे आंसू भी हार जाते हैं
आँखों की पुतली से
पलकों तक आते हैं
पलकों के किनारे से
गालों तक आते हैं
जब आँखें मिल जाती हैं
बेशुमार आते है
No comments:
Post a Comment