Thursday, May 31, 2018

हारी नहीं हूँ मैं


बेशक हार हुई है मेरी
पर हारी नहीं हूँ मैं
मुझको लाचार न समझो तुम
बेचारी नहीं हूँ मैं
रुकी हूँ, गिरी हूँ, ज़मीं पर पड़ी हूँ
पर ज़िंदा हूँ अभी,
किस्मत की मारी नहीं हूँ मैं
फिर उठूँगी, बढ़ूँगी,
फ़लक तक चढ़ूँगी
मैं  सूरज हूँ, 
उगना ढलना आदत है मेरी
टूट के पल में  खो जाये
वो तारा नहीं हूँ मैं
बेशक हार हुयी है मेरी
पर अभी हारी नहीं हूँ मैं.....


........Radha...........

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