Monday, May 21, 2018

तबे एकला चलो रे

यदि तोर डाक शुने केऊ न आसे
तबे एकला चलो रे।....

जब आपका कोई साथ ना देे...
तो वो मेरे मन तु अकेले ही चल।
जब तुम्हारे हर बात को गलत समझा जाए...
तो वो मेरे मन तु अकेले ही चल।
जब आपको हमेशा तिरस्कार की नजर से देखा जाए...
ओ वो मेरे मन तबभी तु अकेले ही चल।
जिंदगी बड़ी कठिन है...इन कठिन रास्तों पर...
ओ मन तु अकेले ही चल।
कभी तुम पीछे छुट जाओ, और कोई आवाज ना दे...
तो वो मेरे मन तु अकेले ही चल। 
जब सब रास्तों के दरवाजे बंद हो जाएं...
तो वो मेरे मन एक नए रास्ते पर ...
तु अकेले ही चल।

मैं हमेशा से "तबे एकला चलो रे" पर विश्वास करती आईं हूँ...बचपन से इतने उताड़ चढ़ाव देखें हैं की किसी पर विश्वास होता ही नहीं...वो चाहे भगवान ही क्यों न हो...

बचपन से लेकर आज तक सारे फैसले खुद लेती आई...अच्छे बुरे की पैहचान करती आई...अपना भला बुरा खुद देखती आई ...तो अब किसी की थोड़ी सी भी कड़वी बात अच्छी नहीं लगती...मुझे शांती से जीना पसंद है...

किसी की चुगली करना पसंद नहीं...किसी को गाली देना पसंद नहीं...किसी के भोले पन का फायदा उठाना पसंद नहीं...और ये सारी ना पसंद बातें मुझे आज घेरे हुए था...सो फिर से मैंने 'एकला चलो रे' का नारा बलंद कर दिया है...


यदि तोर डाक शुने केऊ न आसे
तबे एकला चलो रे।

एकला चलो, एकला चलो, एकला चलो रे!
Written By Radha Rani

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