समझी की वो मुझे समझते हैं…
प्यार मुझसे बेइंतिहां करते हैं…
पहले तो वो हर बात पर
रूला दिया करते थे…
मैं हर बार रो लिया करती थी…
बस यही सोच लिया करती थी…
कि अब सही होगा…तब सही होगा…
मगर, आज भी वही हाल नज़र आता है…
समझ की दिवार फिर खड़ी दिखती है…
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