कितना अच्छा लगता है जब आपको कोई प्यार करता है, आपको चाहता है, आपसे खेलता है, आपको देखते ही बेचैन हो जाता हो और आपको उसकी ये आदत कभी अच्छी लगती है तो कभी गुस्सा भी आता है, पर आप उसे कुछ कर या कह नहीं सकते क्योंकी उसको आपकी बाते समझ ही नहीं आतीं।
ऐसा मैं इस लिये नहीं कह रही की मुझे किसी से प्यार हो गया है। अरे ऐसा नहीं है, क्या करे हम इन्सानों के दिमाग में प्यार के नाम से बस एक ही बात आती है कि कोई लडका-लडकी का प्यार ही होगा।
पर ऐसा कुछ नहीं है, ये कोई इंसान नहीं है वो तो एक प्यारा सा छोटा सा कुत्ता है
ऐसे ही मेरे गली में जन्मा हुआ एक छोटा सा कुत्ता है। एक दिन मां ने उसे घर में बुलाकर दुध-रोटी खिला दिया, फ़िर क्या था उसने हमसे, हमारे परिवार से दोस्ती ही कर ली। और अब तो ये उसकी आदत सी हो गई है, वो रोज, जब भी भुख लगती है तो मेरे यहां आ जता है और खाना खा कर चला जाता है, पहले तो ऐसा वो नहीं करता था पर जब से मेरी मां ने उसे खाना खिलाकर एक बार भगा क्या दिया उसदिन से वो वैसा ही करता है।
जब मैं आफ़िस जाने के लिये निकलती हुं वो हमे रोकना शुरु कर देता है, हमारे कपड़े खिचता है तो कभी हमें दौड़ाता है, लोग कहते है कि वो सिर्फ आपके साथ ही ऐसा करता हैं। हमें भी अच्छा लगता है, ऐसा सुनकर।
जी हां आज इंसान से ज्यादा जानवर वफादार हो गया हैं, इंसान तो आपका खाकर भुला देता है पर जानवर कभी नहीं भुलाता। उसका कर्ज जरुर चुकाता है।
ऐसा उदहारण आपने फिल्मों में जरुर देखा होगा।
ऐसा ही कुछ होता है जब हम अपनी मासी के घर जाते है। वहां भी दो कुत्ते हैं । उन से हम रोज तो नहीं मिलते पर जबभी जाते हैं वो इस तरह करने लगता है कि हम उनके साथ ही रहते हो ।
ऐसा देखकर हमें भी अच्छा लगता है।
ऐसा इसलिए होता है कि हम उन्हें प्यार देते हैं, जानवर को अगर हुम प्यार करेगें तो वो भी हमें बदले में प्यार देता है। तो चाहे वो आपका घर का कुत्ता या कोई गली में रह्ने वाला कुत्ता ।
ऐसा मैं इस लिये नहीं कह रही की मुझे किसी से प्यार हो गया है। अरे ऐसा नहीं है, क्या करे हम इन्सानों के दिमाग में प्यार के नाम से बस एक ही बात आती है कि कोई लडका-लडकी का प्यार ही होगा।
पर ऐसा कुछ नहीं है, ये कोई इंसान नहीं है वो तो एक प्यारा सा छोटा सा कुत्ता है
ऐसे ही मेरे गली में जन्मा हुआ एक छोटा सा कुत्ता है। एक दिन मां ने उसे घर में बुलाकर दुध-रोटी खिला दिया, फ़िर क्या था उसने हमसे, हमारे परिवार से दोस्ती ही कर ली। और अब तो ये उसकी आदत सी हो गई है, वो रोज, जब भी भुख लगती है तो मेरे यहां आ जता है और खाना खा कर चला जाता है, पहले तो ऐसा वो नहीं करता था पर जब से मेरी मां ने उसे खाना खिलाकर एक बार भगा क्या दिया उसदिन से वो वैसा ही करता है।
जब मैं आफ़िस जाने के लिये निकलती हुं वो हमे रोकना शुरु कर देता है, हमारे कपड़े खिचता है तो कभी हमें दौड़ाता है, लोग कहते है कि वो सिर्फ आपके साथ ही ऐसा करता हैं। हमें भी अच्छा लगता है, ऐसा सुनकर।
जी हां आज इंसान से ज्यादा जानवर वफादार हो गया हैं, इंसान तो आपका खाकर भुला देता है पर जानवर कभी नहीं भुलाता। उसका कर्ज जरुर चुकाता है।
ऐसा उदहारण आपने फिल्मों में जरुर देखा होगा।
ऐसा ही कुछ होता है जब हम अपनी मासी के घर जाते है। वहां भी दो कुत्ते हैं । उन से हम रोज तो नहीं मिलते पर जबभी जाते हैं वो इस तरह करने लगता है कि हम उनके साथ ही रहते हो ।
ऐसा देखकर हमें भी अच्छा लगता है।
ऐसा इसलिए होता है कि हम उन्हें प्यार देते हैं, जानवर को अगर हुम प्यार करेगें तो वो भी हमें बदले में प्यार देता है। तो चाहे वो आपका घर का कुत्ता या कोई गली में रह्ने वाला कुत्ता ।