Monday, May 9, 2011

आपका सच्चा दोस्त



कितना अच्छा लगता है जब आपको कोई प्यार करता है, आपको चाहता है, आपसे खेलता है, आपको देखते ही बेचैन हो जाता हो और आपको उसकी ये आदत कभी अच्छी लगती है तो कभी गुस्सा भी आता है, पर आप उसे कुछ कर या कह नहीं सकते क्योंकी उसको आपकी बाते समझ ही नहीं आतीं।
ऐसा मैं इस लिये नहीं कह रही की मुझे किसी से प्यार हो गया है। अरे ऐसा नहीं है, क्या करे हम इन्सानों के दिमाग में प्यार के नाम से बस एक ही बात आती है कि कोई लडका-लडकी का प्यार ही होगा।
पर ऐसा कुछ नहीं है, ये कोई इंसान नहीं है वो तो एक प्यारा सा छोटा सा कुत्ता है
ऐसे ही मेरे गली में जन्मा हुआ एक छोटा सा कुत्ता है। एक दिन मां ने उसे घर में बुलाकर दुध-रोटी खिला दिया, फ़िर क्या था उसने हमसे, हमारे परिवार से दोस्ती ही कर ली। और अब तो ये उसकी आदत सी हो गई है, वो रोज, जब भी भुख लगती है तो मेरे यहां आ जता है और खाना खा कर चला जाता है, पहले तो ऐसा वो नहीं करता था पर जब से मेरी मां ने उसे खाना खिलाकर एक बार भगा क्या दिया उसदिन से वो वैसा ही करता है।
जब मैं आफ़िस जाने के लिये निकलती हुं वो हमे रोकना शुरु कर देता है, हमारे कपड़े खिचता है तो कभी हमें दौड़ाता है, लोग कहते है कि वो सिर्फ आपके साथ ही ऐसा करता हैं। हमें भी अच्छा लगता है, ऐसा सुनकर।
जी हां आज इंसान से ज्यादा जानवर वफादार हो गया हैं, इंसान तो आपका खाकर भुला देता है पर जानवर कभी नहीं भुलाता। उसका कर्ज जरुर चुकाता है।
ऐसा उदहारण आपने फिल्मों में जरुर देखा होगा।
ऐसा ही कुछ होता है जब हम अपनी मासी के घर जाते है। वहां भी दो कुत्ते हैं । उन से हम रोज तो नहीं मिलते पर जबभी जाते हैं वो इस तरह करने लगता है कि हम उनके साथ ही रहते हो ।
ऐसा देखकर हमें भी अच्छा लगता है।
ऐसा इसलिए होता है कि हम उन्हें प्यार देते हैं, जानवर को अगर हुम प्यार करेगें तो वो भी हमें बदले में प्यार देता है। तो चाहे वो आपका घर का कुत्ता या कोई गली में रह्ने वाला कुत्ता ।

Saturday, February 5, 2011

कुत्तों की समाधी


इंसान और कुत्ते की कहानिया बड़ी पुरानी हैं, लोग बड़े जतन से इनकी देखभाल करते हैं । कुत्तों को सबसे वफादार माना जाता है और ये कभी-कभी अपनी जान देकर भी मालिक को बचाते आये हैं। सायद यही कारण है की हजारीबाग के एक पशु प्रेमी “नीलांकन चक्रवर्ती ” ने ना केवल इन्हें बड़े जतन से पाला बल्कि इनकी समाधी भी अपने घर में बना डाली है।


“नीलांकन चक्रवर्ती ” कुछ अलग किस्म के प्रेमी हैं। इनके घर में दर्जनों कुत्तों की फ़ौज हैं। वो सिर्फ उनको पालते ही नहीं बल्कि उनके मरने के बाद उनकी शव को किसी औरों की तरह कहीं और नहीं फेंकते बल्कि उनके शव को अपने ही घर के आंगन में दफ़न करते हैं और फीर उनकी समाधी बना देते हैं।

इनके घर में आधा दर्जन कुत्तों की समाधियां हैं। जहां एक और दुनिया भौतिक सुखों को तरहीज देने में जुटी है वहीं यह पशु प्रेमी चाहता है की भगवान की इस बनायी दुनीयां में सभी प्रेम से रहें।

“नीलांकन चक्रवर्ती ” के घर वाले भी उनका पुरा सहयोग देते हैं। नीलांकन जी के अब दुसरी पीढी भी इनको पालने में जुटी है।

देश भर में सड़कों पर हजारों कुत्तों की मौत रोजाना होती है। हम अपने आप में इतने व्यस्त हो गए हैं की आज गली के कुत्तों को एक रोटी भी डालने की ज़हमत नहीं करते, ऐसे में अपने घर में एक दर्जन से अधिक आवारा कुत्तों को शरण देना और मरणोपरांत भी वही आदर का भाव रखना शायद हमें ही यह सिख देने का प्रयास है की अपने आस पास के इन निरीह जानवरों को भी जीने देने में सहयोग करें।



अब भी दिल रो देता है

अब भी दिल रो देता है जब भी उन गलियों से गुजरती हूं तेरे होने का एहसास होता है अचानक से कदम खुद रुक जाते हैं और मैं वहीं एक टक तुम्हें वही ढु...